*पुराने 25 प्रकरणों के शीघ्र निराकरण अनिवार्यता आदेश निरस्त करने की मांग ,अभिभाषक संघ ने सौपा ज्ञापन*

मुलताई✍️ विजय खन्ना 

हाईकोर्ट जबलपुर द्वारा प्रदेश के सभी न्यायालयों में विचाराधीन पुराने 25 प्रकरणों का नियत समयावधि में निराकरण के आदेश से अभिभाषको को  कार्य करने हो रही परेशानी को दृष्टिगत रखते हुए अभिभाषक संघ ने इस आदेश को निरस्त करने की मांग की है । गुरुवार को अभिभाषक संघ अध्यक्ष सी एस चंदेल के नेतृत्व में अभिभाषक संघ के सदस्यों ने मुख्य न्यायाधीश हाई कोर्ट जबलपुर को संबोधित ज्ञापन  प्रथम जिला सत्र न्यायाधीश शालिनी शर्मा को सौंपा। ज्ञापन में बताया हाईकोर्ट जबलपुर द्वारा प्रदेश के सभी न्यायालयों में पुराने 25 प्रकरणों का  नियत समयावधि में निराकरण के निर्देश अधीनस्थ न्यायालयों को दिए गए हैं ।जिसके परिणामस्वरूप अभिभाषको को अपना कार्य करने में परेशानी हो रही है। और अभिभाषक पैरवी का कार्य  समुचित ढंग से निष्पादित नहीं कर पा रहे हैं। साथ ही कार्य का अत्याधिक दबाव होने से उनके स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। न्यायालय के नियमित कार्य भी प्रभावित हो रहे हैं पूरे प्रदेश में न्यायालयों में  कर्मचारियों की कमी है। साथ ही प्रकरणों की संख्या की तुलना में न्यायालयों की भी कमी है । जो प्रकरणों के निराकरण में हो रहे विलंब का प्रमुख कारण है। ज्ञापन में बताया प्रदेश के पुलिस  थानों में पदस्थ अधिकारी और स्टॉप  की कमी होने से न्यायालयों में विचारण प्रक्रिया में  अनुसंधान अधिकारी का एक ही समय में एक से अधिक  न्यायालय में उपस्थित होना संभव नहीं हो पा रहा है । साथ ही न्यायालय में संसाधनों की  पर्याप्तता का अभाव है जिसके कारण उक्त प्रक्रिया का संचालन हो पाना विधिक रूप से असंभव हो रहा है ।साथ ही प्रकरणों की निराकरण प्रक्रिया और न्याय की शुद्धता भी प्रभावित हो रही है और पक्षकार के मन मस्तिष्क पर न्याय की निष्पक्षता पर भी प्रश्नचिन्ह उत्पन्न हो रहा है ।ज्ञापन में अधिवक्ताओं ने विधि के नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत और न्याय की निष्पक्ष प्रणाली को संबल प्रदान करने को दृष्टिगत रखते हुए प्रदेश के अधीनस्थ जिला और तहसील न्यायालयो  में 25 पुराने प्रकरणों के  निराकरण अनिवार्यता आदेश को निरस्त करने की मांग की है। ज्ञापन में अधिवक्ताओं ने चेतावनी  दी है यदि 11 फरवरी के पूर्व उनकी मांग का विधिसम्मत निराकरण नहीं हुआ तो  अभिभाषक संघ लोक अदालत की कार्रवाई में शामिल नहीं होने के लिए विवश होंगा।ज्ञापन  देने के दौरान अधिवक्ता प्रमोद कोसे, प्रवीण माने, सी एस सोनी,सुनील कुशवाह, आर के मायवाड, अशोक सिंह परिहार , चैतराम बनखेडे, प्रशांत भार्गव सुनील बिहारिया  , महेश राठौर, मोहन सिंह वर्मा, मीना अतुलकर, सहित अन्य अधिवक्ताओं की उपस्थिति रही।