रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध के हालात से भारत समेत कई देशों में चिंता बढ़ गई है। दोनों देश युद्ध के मुहाने पर पहुंच गए हैं। सबसे बड़ी चिंता इस बात की है कि अगर युद्ध शुरू होता है तो वैश्विक तेल बाजार में भारी उथल-पुथल मचेगी। क्रूड ऑयल की कीमतें 100 डॉलर प्रति बैरल को पार कर जाएंगी और इसका सीधा असर अन्य देशों पर महंगाई में वृद्धि के तौर पर देखने को मिलेगी। 

रूस नेचुरल गैस का सबसे बड़ा सप्लायर है और क्रूड ऑयल उत्पादन में भी इसका हिस्सा काफी ज्यादा है।  रूस वैश्विक मांग का लगभग 10 फीसदी उत्पादन करता है। दोनों देशों के बीच युद्ध शुरू होने के कारण जाहिर है कि क्रूड ऑयल और नेचुरल गैस की सप्लाई पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा और ईंधन की कीमतों में आग लग जाएगी। यूरोप की निर्भरता रूस पर अधिक है। 

रूस और यूक्रेन के बीच जारी मुद्दों के चलते पहले ही क्रूड ऑयल की कीमत आसमान छू रही है। कच्चे तेल की कीमतें 96.3 डॉलर प्रति बैरल के उच्च स्तर को छू गई हैं जो कि  2014 के बाद सबसे ज्यादा है। विशेषज्ञों की मानें तो जल्द ही ये 100 डॉलर प्रति बैरल का आंकड़ा भी पार कर जाएंगी। इसके अलावा, ग्लोबल उत्पादन में विश्व का 10 फीसदी कॉपर और 10 फीसदी एल्युमीनियम रूस बनाता है। यानी युद्ध की शुरुआत होने के साथ यूरोपीय देशों के लिए कई तरह की दिक्कतें खड़ी होने वाली हैं।   

रूस-यूक्रेन के बीच जो हालात बने हुए हैं उनका असर वैश्विक बाजारों पर साफतौर पर दिखने लगा है। युद्ध के दौरान सप्लाई चेन प्रभावित होने के कारण शेयर बाजारों में और गिरावट आने की संभावना है। युद्ध के माहौल में निवेशकों की धारणाएं प्रभावित होंगी और शेयर बाजार में गिरावट आ सकती है अगर रूस और यूक्रेन के बीच लड़ाई छिड़ी तो इसकी आंच केवल दो देशों तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि यूरोप पर इसका सीधा असर होगा। वैश्विक अर्थव्यवस्था बुरी तरह से प्रभावित होगी।