भोपाल ।   मक्का और मदीना की गलियां देखना, काबा शरीफ का तवाफ (परिक्रमा) करना और इबादतों की खास लज्जत उठाना हर मुस्लिम की ख्वाहिश होती है। हज के लिए तयशुदा समय, ख्वाहिश्मंद लोगों की बड़ी कतार और इसके लिए होने वाले बड़े खर्च ने लोगों के कदम खींच रखे हैं। ऐसे में अकीदत पूरी करने के लिए एक आसान राह उमराह (मजहबी यात्रा) की है। इसमें हजयात्रा से कम खर्च, समय की पाबंदी न होना और बिना कतार सफर पर पहुंचने की सहूलियत ने इसके प्रति अकीदतमंदों का रुझान बढ़ाया है। रमजान माह इबादतों का खास निजाम होने के नाते लोग इस माह में उमराह को तरजीह दे रहे हैं। ताजा हालात में लोगों की बढ़ी हुई पेइंग कैपिसिटी ने उनके खर्च की नीयत भी बढ़ाई है। शिमला, कश्मीर जैसे हिल स्टेशन या मुंबई, दिल्ली जैसे महानगर की सैर करना अब लोगों की पसंद से खारिज होता जा रहा है। इसके बदले वे अकीदत के सफर उमराह पर जाने को प्राथमिकता दे रहे हैं। हवाई सफर, विदेश यात्रा और इसके साथ जुड़े अकीदत और सवाब(पुण्य) की नीयत ने इस सफर की तरफ मुस्लिम समुदाय के संपन्न लोगों के उमराह सफर में बढ़ोतरी कर दी है। राजधानी भोपाल के ट्रैवल हाउस के संचालक ममनून मियां बताते हैं कि आम दिनों में भोपाल से हर माह करीब 100 लोग उमराह सफर पर जा रहे हैं। छुट्टियों के सीजन में सऊदी अरब जाने वालों की तादाद दोगुनी से भी ज्यादा हो जाती है, जबकि रमजान माह में उमराह पर जाने वालों की संख्या हजारों में पहुंच गई है। ममनून मियां ने बताया कि इस साल भी बढ़ी तादाद में भोपालवासी उमराह पर पहुंचे हैं। जहां कई अकीदमंद रमजान माह की शुरुआत में उमराह सफर पूरा करके आ चुके हैं। जबकि बड़ी तादाद में बीच रमजान में सऊदी अरब पहुंचे हैं, जो ईद के बाद लौटेंगे।

आम दिनों में 14 दिन, रमजान में पूरा माह

ट्रैवल हाउस के संचालक ममनून मियां बताते हैं कि आम दिनों में उमराह सफर की अवधि 14 से 20 दिन की होती है। टूर पैकेज में वीजा, मुंबई से सऊदी अरब आने जाने का टिकट, रिहाइश, लोकल कन्वेंस, खाना और अन्य सुविधाओं वाले इस सफर के लिए करीब 90 हजार रुपये तक खर्च होता है। वहीं रमजान माह में इस सफर की अवधि एक माह से लेकर 34 दिन तक होती है। इसके लिए प्रति व्यक्ति खर्च एक लाख तीस हजार रुपये तक हो रहा है।

नेता, शायर, डॉक्टर, पत्रकार सारे मौजूद

राजधानी भोपाल से सफर-ए-उमराह पर सऊदी अरब पहुंचे भोपाल वासियों में मध्य विधानसभा के कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद भी शामिल हैं। वे अपने भांजे के साथ उमराह सफर पर गए हैं। अंतरराष्ट्रीय शायर मंजर भोपाली अपनी पत्नी तबस्सुम के साथ और वरिष्ठ टीवी पत्रकार डॉ. मेहताब आलम भी सपत्नीक मक्का मदीना की जियारत के लिए गए हैं। इसी तरह शहर के मशहूर डॉक्टर यूसुफ खलील शिफा भी उमराह सफर पर हैं। 

कवायद अहतेकाफ की

रमजान माह के आखिरी अशरा (आखिरी दस दिन) में अहतेकाफ़(एकांतवास) का खास महत्व है। इस दौरान अकीदतमंद मस्जिद में रहकर एकल इबादत करते हैं। इस दौरान वे किसी से मुलाकात, बात, दुनियावी काम और सामाजिक जीवन से दूर रहकर सिर्फ नमाज, रोजा, कुरआन की तिलावत करते हैं। रमजान के इस अशरे में उमराह पर जाने के पीछे अकीदतमंदों की मंशा इस खास इबादत में शामिल होने की होती है।

भीड़ इतनी कि लगाना पड़ा प्रतिबंध

दुनियाभर से रमजान माह में अकीदतमंद सऊदी अरब पहुंच रहे हैं। वहां इस समय लाखों लोगों की मौजूदगी का अनुमान है। सऊदी अरब सरकार के हज और उमरा मंत्रालय ने भीड़भाड़ को कम करने के लिए रमजान के दौरान उमरा करने की पुनरावृत्ति पर प्रतिबंध लगा दिया है। इस उपाय से अधिक लोगों को उमरा करने का मौका भी मिलेगा। मंत्रालय ने कहा कि रमजान में दो बार ये इससे ज्यादा उमरा करने के लिए कोई परमिट जारी नहीं किया गया है। इसके अलावा सऊदी अरब में अधिकारियों ने रमजान के दौरान लोगों की आमद को ध्यान में रखते हुए कई उपाय किए हैं। इन उपायों में भीड़ को नियंत्रित करने के लिए तीर्थयात्रियों के प्रवेश और निकास के लिए अलग दरवाजे और दूसरे इंतजाम किए गए हैं।

इसलिए बढ़ी भीड़

जानकारी के मुताबिक पूर्व व्यवस्था में रमजान माह में उमराह करने वालों को अनुमति देने की प्रक्रिया इस माह की शुरुआत से करीब 15 दिन पहले रोक दी जाती थी। इस बार अनुमति का दौर आधा रमजान हो जाने के बाद भी जारी रहा। बताया जा रहा है कि उमराह सफर की अनुमति इस बार हज सफर शुरू होने के 15 दिन पहले तक दी गई हैं।