थायरॉयड एक ऐसी बीमारी है जो हमारे शरीर के कई जरूरी फंक्शन को डिस्टर्ब कर सकती है। ये कब्ज, बाल झड़ने, वजन बढ़ने या गिरने के रूप में सामने आने लगते हैं। लेकिन कई बार हमें पता ही नहीं चलता कि ये जो परेशानियां हो रही हैं वो थायरॉयड की वजह से हैं। तो अगर आपको भी शरीर में ऐसे लक्षण नजर आ रहे हैं तो अपना थायरॉइड टेस्ट जरूर करवा लें।

थायरॉइड ग्रंथि का काम  :  थायरॉइड ग्रंथि का काम T3 और T4 हॉर्मोन बनाना है। ये हॉर्मोन्स शरीर के अलग-अलग फंक्शन के लिए जरूरी है जैसे पाचन तंत्र को दुरुस्त रखना, हड्डियों और दिमागी विकास में मदद, बालों की क्वॉलिटी सही रखना, शरीर में सही तरीके से ब्लड सर्कुलेशन, वजन नियंभत्रित रखना आदि। जब शरीर में इस हॉर्मोन का संतुलन बिगड़ जाता है तो ये दो तरह से हमारे सामने आ सकती है।

1. हाइपरथायरॉइडिज़्म- जिसमें T3 और T4 का उत्पादन जरूरत से ज्यादा मात्रा में होने लगता है। 

2. हाइपोथायरॉइडिज्म- इसमें T3 T4 का उत्पादन बहुत ही कम हो जाता है। ये दोनों ही स्थितियां खतरनाक हैं।

योग जिनकी मदद से कर सकते हैं थायरॉइड को कंट्रोल

भुंजगासन :  का अभ्यास थायराइड ग्रंथि को नियमित करने में मदद करता हैं। यह आसन रक्त परिसंचरण में सुधार कर ऊपरी और मध्य पीठ के लचीलापन में सुधार करने में मदद करता है। पीठ और कंधे मजबूत होते हैं, पेट पर जमा चर्बी कम होती है। 

हलासन  :  थायराइड ग्रंथि को एक्टिव करता है। इसे करते वक्त गर्दन पर दबाब पड़ता है और यही इसी से ग्रंथि एक्टिव होती है। इसके अलावा यह तनाव और थकान के साथ पेट की चर्बी भी कम करता है। 

सेतुबंधासन  : थायराइड ग्लैंड को एक्टिव कर सकता है। यह दिमाग को शांत करने, चिंता कम करने और पाचन तंत्र में सुधार करता है।

मत्यासन :  इस आसान को करने से न सिर्फ थायरॉइड कंट्रोल किया जा सकता है बल्कि इससे कमर दर्द में भी राहत मिलती है साथ ही गर्दन, कमर में खिंचाव को दूर किया जा सकता है। कब्ज की परेशानी में भी ये आसन फायदेमंद है।

सर्वांगासन  : यह थायराइड ग्रंथि को एक्टिव करने और थायरॉक्सिन को कंट्रोल करने में मदद करता है। इस योगासन में, उल्टा होने की वजह से ब्लड पैरों से सिर क्षेत्र तक बहता है जो थायरॉइड को कम करने में मदद करता है।