राजिम में चल रहे संत समागम में शामिल होने के लिए अनेक संत, महात्मा राजधानी पहुंचे। रायपुर के बोरियाकला स्थित शंकराचार्य आश्रम में ज्योतिष पीठाधीश्वर अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती और शारदा पीठाधीश्वर सदानंद सरस्वती महाराज का आगमन हुआ। द्विपीठ के निज सचिव ब्रह्मचारी सुबुद्धानंद महाराज भी पहुंचे।

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय दोनों पीठाधीश्वर महाराज के दर्शन करने के लिए पहुंचे और पादुका पूजन कर प्रदेश की सुख, समृद्धि, शांति की कामना करते हुए आशीर्वाद लिया। मुख्यमंत्री साय ने कहा कि साक्षात द्वारका के भगवान द्वारकाधीश, बद्रीनाथ के भगवान बद्रीविशाल की चल मूर्ति का हमारे प्रदेश में पदार्पण हुआ है, जिसे हम अपना सौभाग्य मानते हैं।

CM साय के साथ राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा ने भी लिया आशीर्वाद

मुख्यमंत्री के साथ राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा ने भी दर्शन कर आशीर्वाद लिया। इस अवसर पर ब्रह्मचारी डॉ इंदुभवानंद, ब्रह्मचारी ज्योतिर्मयानंद, ज्योतिर्मठ के सीईओ चंद्रप्रकाश उपाध्याय, पूर्व विधायक मोतीराम चंद्रवंशी, रवि त्रिपाठी, हरीश शाह, सतीश शाह , शंकराचार्य के मीडिया प्रभारी अशोक साहू सहित काफी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने महानदी की महाआरती की

इसके बाद राजिम कुंभ कल्प में सोमवार शाम को मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने महानदी की महाआरती की। इस महाआरती में कथावाचक सीहाेर वाले पंडित प्रदीप मिश्रा, जबलपुर की साध्वी प्रज्ञा भारती भी शामिल हुईं। 11 पंडितों के सस्वर मंत्रोच्चार से महानदी का तट गुंजायमान हो गया। इससे पहले त्रिवेणी संगम तट पर शिव स्त्रोत से श्रद्धालु धन्य हो गए।

मुख्यमंत्री साय ने भगवान कुलेश्वर महादेव की पूजा-अर्चना कर प्रदेश की सुख समृद्धि और खुशहाली की कामना की। मुख्यमंत्री ने भगवान कुलेश्वर महादेव का अभिषेक किया और उनके शृंगार के साक्षी बने। पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि राजिम कुंभ कल्प से छत्तीसगढ़ की ख्याति राष्ट्रीय स्तर पर फैली है। उन्होंने कहा कि इस आयोजन से धर्म की पताका फहराने का राज्य सरकार का संकल्प दिखता है।

8 मार्च को महाशिवरात्रि पर विशेष स्नान व समापन

24 फरवरी से शुरू हुआ राजिम कुंभ कल्प आठ मार्च तक चलेगा। सोमवार को जानकी जयंती पर श्रद्धालुओं ने विशेष स्नान किया। आखिरी स्नान आठ मार्च को महाशिवरात्रि पर होगा। इसी के साथ कुंभ संपन्न हो जाएगा। संत समागम में देशभर के साधु-संतों के अमृत वचन सुनने को मिल रहे हैं।