बरसाली ग्राम पंचायत में मतदान का बहिष्कार,माचना नदी पर पुल बनाने की मांग, प्रशासनिक अमला गांव से बैरंग लौटा
पुल नहीं, तो वोट नहीं*
प्रशासनिक अमला लौटा बैरंग, सुलह में नहीं बनी कोई बात
बैतूल l कुछ दिनों पहले ही ग्राम पंचायत बरसाली लाखापुर एवं समीपस्थ गांव के मतदाताओं ने माचना नदी पर पुल निर्माण की मांग को लेकर मतदान के बहिष्कार करने का ऐलान कर दिया था जिसके बाद प्रशासन की टीम गांव पन्हुची लेकिन कोई हल नहीं निकल पाया और टीम बैरंग वापिस लौट गए ग्रामीण अपनी मांग पर अड़े हुए है पुल नही तो वोट नहीं मतदान के इस बहिस्कार से प्रशासनिक अधिकारियों की सांस फूली हुई है जिले में 7 मई को होने वाले मतदान के दिन मतदान प्रतिशत कम न हो इसलिए जिला निर्वाचन अधिकारी और प्रशासन तमाम कोशिश कर रहा है ऐसे में गांव में मतदान का बहिष्कार सिर दर्द न बन जाए l
ग्रामीणों को मतदान के लिए समझाइस देने के लिए एवं शिकायत की जांच के लिए गांव पंहुचा जिसमे तहसील नायब तहसीलदार आरके उइके एवं नायब तहसीलदार एसके उइके एवं ग्राम कोटवार, पंचायत सचिव तथा पंचायत सरपंच आदि अपनी टीम के साथ ग्राम काजी जामठी पहुंचे और उन्होंने हर प्रकार से आश्वासन देखकर ग्रामीणों को समझाने की कोशिश की, किंतु ग्रामीण पक्के लिखित आश्वासन पर अड़े रहे और मतदान करने के लिए राजी नहीं हुए।
ग्रामीणों ने कहा कि ऐसे आश्वासन तो पूर्व में भी कई बार प्राप्त हो चुके हैं, लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है। हम लोकतंत्र के राष्ट्रीय पर्व में हर बार बढ़ चढ़कर हिस्सा लेकर मतदान करते आए हैं, किंतु इस बार हमें ग्राम के विकास एवं हमारे बच्चों का भविष्य देखते हुए मतदान का बहिष्कार करना पड़ रहा है।
यदि इसके बाद भी यदि हमें मतदान करने पर मजबूर किया गया तो हम राइट टू रिजेक्ट के अधिकार का प्रयोग करते हुए पोलिंग बूथ पर जाकर ईवीएम मशीन में नोटा की बटन दबाएंगे।
ग्रामीणों ने बताया कि यदि लोकसभा में निर्वाचन के लिए खड़े हुए प्रत्याशी लिखित में आश्वासन देते हैं, तो सभी सहर्ष ही मतदान प्रक्रिया में भाग लेंगे।
मतदान का बहिष्कार करने और पुल निर्माण की मांग में ग्रामीण शिवदास डढ़ोरे, शुभम झाडे, नारायण झाडे, रामू नरवरे, गौरव झरिया, सौरभ झरिया, गोमा नागले, रघुनंदन घिडोड़े, केवल यादव, जगदीश यादव, प्रेमचंद नरवरे, खेमचंद यादव, दीपक यादव आदि सभी प्रमुख ग्रामीण जन उपस्थित थे