मनी लॉन्ड्रिंग और धोखाधड़ी के कई मामलों का सामना कर रहे उद्योगपति यशोवर्धन बिड़ला को बॉम्बे हाईकोर्ट ने बड़ी राहत दी है। बॉम्बे हाईकोर्ट ने यश बिड़ला को एक जुलाई तक ब्रिटेन और मिस्र की यात्रा करने की अनुमति दी है। कोर्ट ने यहा माना है कि उनके भागने का कोई जोखिम नहीं है और उनके फरार होने की संभावना नहीं है। 

जस्टिस अभय आहूजा और जस्टिस मिलिंद सथाये की पीठ ने 26 मई को बिड़ला के खिलाफ जारी लुक आउट सर्कुलर को एक जुलाई तक के लिए निलंबित कर दिया और इमिग्रेशन अधिकारियों को उन्हें इमिग्रेशन से गुजरने और अपनी फ्लाइट में सवार होने की अनुमति देने का निर्देश दिया।


अदालत ने बिड़ला को केवल मिस्र और ब्रिटेन की यात्रा करने की अनुमति दी है। साथ ही कहा कि उन्होंने कई मौकों पर विदेश यात्रा की और भारत लौटे और उन पर लगाई गई सभी शर्तों का पालन किया। अदालत ने कहा कि बिड़ला ने पहले की विदेश यात्रा के दौरान उन पर लगाए गए नियमों और शर्तों का पालन किया है और उनका परिवार भारत में है।

हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि इसलिए, इस स्तर पर, प्रथम दृष्टया, यह हमें नहीं लगता है कि आवेदक बिड़ला के भागने का खतरा नहीं है। पीठ ने कहा कि बिड़ला को केवल यूके और मिस्र की यात्रा करने की अनुमति दी जाएगी और वह एक जुलाई या उससे पहले भारत लौट आने चाहिए। अदालत ने बिड़ला के इस वचन को भी स्वीकार कर लिया कि उनके बच्चे भारत में वापस रहेंगे और उनके साथ नहीं आएंगे।

उद्योगपति के वकील आबाद पोंडा ने तर्क दिया था कि बिड़ला एक व्यापारी हैं, जिन्हें अपने व्यवसाय के विस्तार के लिए यात्रा करनी पड़ती है। उन्होंने कहा कि अतीत में, बिड़ला को यात्रा की अनुमति दी गई थी और उन्होंने उन पर लगाई गई सभी शर्तों का पालन किया और भारत लौट आए।

बिड़ला धन शोधन निवारण अधिनियम और जमाकर्ताओं के हितों के संरक्षण (वित्तीय प्रतिष्ठानों में) अधिनियम के तहत मामलों का सामना कर रहे हैं। गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (एसएफआईओ) ने भी बिड़ला के स्वामित्व वाली कई कंपनियों के खिलाफ कंपनी अधिनियम के तहत जांच शुरू की थी। जिसकी जांच अभी भी जारी है।