*भागवत कथा जीवन की व्यथा मिटाती है -पं निर्मल कुमार शुक्ल*

भैंसदेही श्रीमद् भागवत महापुराण विश्व साहित्य का सिरमौर है यह भगवान श्री कृष्ण का अक्षरा कार शरीर है। जब भगवान कृष्ण धरती त्याग कर स्वलोक जाने लगे तो उनके मुख से एक तेज निकला और भागवत में प्रविष्ट हो गया। उक्त उद्गार पोखरनी में राठौर परिवार द्वारा आयोजित सप्त दिवसीय भागवत महापुराण कथा के तृतीय दिवस प्रयाग राज‌‌‌ से पधारे हुए रामायण भागवत शिव पुराण आदि सनातन धर्म ग्रंथों के विलक्षण व्याख्या कार मानस महारथी पं निर्मल कुमार शुक्ल ने विशाल श्रोता समूह को भाव विभोर करते हुए व्यक्त किया।आपने आज प्रह्लाद चरित्र की भाव पूर्ण कथा सुनाते हुए कहा कि परमात्मा हर जगह हर काल में और हर रूप में विद्यमान है।गीता में भगवान कहते हैं जो अपने समस्त कर्मो को तथा मन बुद्धि सब कुछ मुझे समर्पित करके मेरे आश्रय में आ जाता है मैं मृत्यु सागर से उसकी बांह पकड़ कर बचा लेता हूं। प्रह्लाद जी की अवस्था मात्र 5 वर्ष की थी किन्तु गर्भावस्था में ही नारद द्वारा उनकी माता को दिया गया उपदेश प्रह्लाद में भी व्याप्त हो गया था इसलिए शैशव काल से ही  भगवान के प्रति उनमें दृढ़ विश्वास हो गया था।पिता हिरण्यकशिपु ने लाख उपाय किया किन्तु वो तिल भर भी डिगे नहीं। आचार्यों ने भी मार्ग से डिगाने की  कोशिश किया किन्तु इन्हें विचलित नहीं कर सके।अंत में हिरण्यकशिपु ने इन्हें मारने के अनेकों प्रयास किए किंतु हर जगह परमात्मा ने इनकी रक्षा किया।पर्वत शिखर से नीचे फेंका गया नागों के कुंड में डाला गया समुद्र में फेंक दिया गया तीक्ष्ण विष खिलाया गया जलती हुई चिता में डाला गया किन्तु बालक का बाल भी बांका नहीं हुआ।अंत में तलवार निकाल कर हिरण्यकशिपु बोला बोल तेरा परमात्मा कहां है क्या इस खंभे में भी है दृढ़ विश्वास के साथ प्रह्लाद ने कहा पिता जी मेरा परमात्मा एक एक कण में भरा हुआ है। यह सुनते ही क्रुद्ध हिरण्यकशिपु ने खंभे पर गदा प्रहार किया तत्काल प्रचंड शब्द के साथ खंभा फाट गया और आधा नर आधा सिंह के रूप में नृसिंह भगवान प्रगट हो गये।सबके सामने राक्षस को पकड़ कर अपने तीखे नखों से हिरण्यकशिपु को विदीर्ण करके भक्त प्रह्लाद की रक्षा कर लिया। विद्वान वक्ता ने कहा कि अपने शरणागत को भगवान पुत्र के समान पालते हैं। इससे पूर्व आज जड़ भरत अजामिल वृत्तासुर आदि प्रसंगों को सुनाकर आपने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।यह कथा महोत्सव दि 21 जनवरी तक प्रतिदिन मध्यान्ह 1 से 4 बजे तक चलेगा । आयोजक भैया लाल राठौर सुन्दर लाल राठौर राम प्रसाद राठौर राम गोपाल राठौर महेंद्र राठौर मनोज राठौर  व समस्त राठौर परिवार ने नगर एवं क्षेत्र के समस्त धर्म प्रेमी सज्जनों से अधिकाधिक संख्या में पधार कर कथामृत पान करने का आग्रह किया है।