भोपाल । प्रदेश के उज्जैन शहर स्थित महाकाल मंदिर में मंगलवार से व्यवस्था में परिवर्तन हुआ और गर्भगृह व नंदी हाल में अनधिकृत लोगों व सोलाधारियों के प्रवेश पर पूरी तरह रोक लगा दी गई। साथ ही समिति ने गर्भगृह, नंदी हाल आदि में रंग, गुलाल उड़ाने पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया है।  रंगपंचमी पर भी यह रोक जारी रहेगी। धुलेंडी पर हुए हादसे के बाद मंदिर प्रशासन सख्त हो गया है। इस दिन केवल पुजारी-पुरोहित भगवान महाकाल को प्रतीकात्मक रूप से टेसू के फूलों से बना प्राकृतिक रंग अर्पित करेंगे। मंदिर समिति पुजारी-पुरोहितों को टेसू के फूलों से बना प्राकृतिक रंग उपलब्ध कराएगी। मंदिर समिति अन्य व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने के लिए एक्शन प्लान भी बना रही है। इसे जल्द अमलीजामा पहनाया जाएगा।बता दें कि ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में होली के दिन सोमवार सुबह भस्म आरती के दौरान गर्भगृह में आग लग गई। इससे पुजारी, पंडे और सेवकों सहित कुल 14 लोग झुलस गए। नौ घायलों को इंदौर रैफर किया गया था। घटना को लेकर मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिए गए हैं। तीन दिन में रिपोर्ट आएगी। मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव ने सभी घायलों से मुलाकात की थी। घायलों को एक लाख रुपये की सहायता राशि भी दी जा रही है। महाकाल मंदिर में रोज की तरह सोमवार तड़के भस्म आरती हो रही थी। पूजन के क्रम में सुबह 5.45 बजे कपूर आरती शुरू हुई। इसी दौरान किसी ने स्प्रे, सिलेंडर से गुलाल उड़ाया। केमिकल युक्त गुलाल कपूर के संपर्क में आया और आग भभक गई। गर्भगृह की दीवारें चांदी से मंडित हैं। ऊपर रुद्र यंत्र है। गुलाल से यह खराब न हो, इसलिए इन्हें ढंका जाता है। हर बार इसे सूती कपड़े आदि से ढंका जाता था। इस बार पानी से बचाव करने के लिए फ्लैक्स का भी उपयोग किया गया। इस कारण आग और तेजी से फैली और पुजारियों तथा सेवकों को अपनी चपेट में ले लिया। सूत्रों के अनुसार करीब ढाई क्विंटल गुलाल मंदिर में पहुंचा था। अधिकारियों का कहना है कि इतना गुलाल कैसे पहुंचा, इसकी भी जांच की जाएगी। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर में हर्बल पूजन सामग्री का उपयोग करने के निर्देश दिए हैं, इसके बावजूद केमिकल युक्त गुलाल मंदिर परिसर में बेरोकटोक लाया जाता है। मंदिर प्रशासन ने मंगलवार से गर्भगृह व नंदी हाल में अनाधिकृत लोग व सोलाधारियों का प्रवेश प्रतिबंधित किया गया है। अब वही पुजारी गर्भगृह व नंदी हाल में मौजूद रहेंगे, जिनकी बैठक (बारी) चल रही है। अन्य कोई पुजारी, पुरोहित, प्रतिनिधि तथा कर्मचारी प्रतिबंधित क्षेत्र में प्रवेश नहीं कर सकेगा। आम तौर पर देखने में आता है कि दिनभर बड़ी संख्या में सोलाधारी नंदी हाल में खड़े रहते हैं, यह लोग भेंट दक्षिणा के लिए भक्तों द्वारा लाए गए फूल, प्रसाद व पूजन सामग्री भगवान को अर्पित करने गर्भगृह में जाते हैं। इससे दर्शन बाधित होते हैं तथा अव्यवस्था फैलती है। इस बारे में महाकालेश्वर मंदिर के प्रशासक संदीप कुमार सोनी का कहना है कि हादसे के बाद गर्भगृह व नंदी हाल में अनधिकृत लोगों का प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया गया है। व्यवस्थाओं में बदलाव का प्लान तैयार किया जा रहा है। जल्द ही नई व्यवस्था लागू होगी। एक्सपर्ट कमेटी के सुझावों का पूर्ण रूप से पालन कराने के लिए जिम्मेदारी तय की जाएगी।