जिला पंचायत की स्थायी समितियों के कार्यक्षेत्र निर्धारित
जिला पंचायत की स्थायी समितियों के कार्यक्षेत्र निर्धारित
बैतूल, 16 नवंबर 2022
मप्र पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम 1993 की धारा 47 अंतर्गत समितियों का गठन, सभापतियों के निर्वाचन की कार्रवाई पूर्ण हो चुकी है। जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी अभिलाष मिश्रा ने प्रत्येक समिति का कार्यक्षेत्र निर्धारित किया है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार कृषि स्थायी समिति के सभापति शैलेन्द्र कुंभारे बनाए गए हैं। इस समिति के कार्यक्षेत्र अंतर्गत कृषि, पशुपालन, विद्युत शक्ति, कृष्यकरण-जिसमें मृदा संरक्षण और समोच्यबंधान (कंटूर बंडिंग) सम्मिलित है, के लिए और मत्स्य पालन, कम्पोस्ट खाद बनाने, बीज वितरण और कृषि एवं पशुधन विकास से संबंधित अन्य विषय होंगे।
इसी तरह शिक्षा स्थायी समिति के सभापति हंसराज धुर्वे बनाए गए हैं। इस समिति के कार्यक्षेत्र अंतर्गत प्रौढ़ शिक्षा, नि:शक्तों तथा निराश्रितों के सामाजिक कल्याण, महिला एवं शिशु कल्याण, अस्पृश्यता निवारण, बाढ़, सूखा, भूकंप, ओलावृष्टि, दुर्भिक्ष, टिड्डीदल तथा अन्य ऐसी आपातिक स्थितियों से उत्पन्न होने वाली आपदाओं से राहत के लिए और मद्यत्याग या मद्य निषेध, स्वास्थ्य और स्वच्छता, आदिम जाति तथा हरिजन कल्याण के विषय शामिल हैं।
संचार तथा संकर्म स्थायी समिति का सभापति अर्चना गायकी को बनाया गया है। इस समिति के कार्यक्षेत्र अंतर्गत संचार, लघु सिंचाई, ग्रामीण गृह निर्माण, ग्रामीण जलप्रदाय, जल निकास तथा अन्य लोक संकर्मों के विषय शामिल हैं।
सहकारिता और उद्योग स्थायी समिति का सभापति देवकी यादव को बनाया गया है। इस समिति के कार्यक्षेत्र अंतर्गत सहकारिता एवं उद्योग संबंधी विषय शामिल हैं।
स्वास्थ्य, महिला एवं बाल विकास समिति का सभापति सीमा विश्वास को बनाया गया है। इस समिति के कार्यक्षेत्र अंतर्गत लोक स्वास्थ्य तथा स्वच्छता, महिला एवं बाल कल्याण, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी, ग्रामीण जल प्रदाय तथा जल निकास संबंधी विषय शामिल हैं।
वन समिति का सभापति श्रीमती सुमन अखंडे को बनाया गया है। इस समिति के कार्यक्षेत्र अंतर्गत सामाजिक वानिकी, एकीकृत पड़त भूमि विकास कार्यक्रम, राष्ट्रीय उद्यान, लघु वनोपज का विकास तथा अन्य वानिकी कार्यक्रमों से संबंधित विषय शामिल हैं।
जैवविविधता प्रबंधन समिति का सभापति दुर्गाचरण सिंह उर्फ राजा ठाकुर को बनाया गया है। इस समिति के कार्यक्षेत्र अंतर्गत जैव विविधता प्रबंधन संबंधी विषय शामिल हैं।