भारत देश में तीर्थ स्थालों और उपासना स्थलों की कोई कमी नहीं है हमारे देश में तो कई ऐसे अद्भुत और चमत्कारी मंदिर है जिनके रहस्यों को आज तक कोई समझ नहीं पाया है लेकिन जब ईश्वर का वास ह्रदय में माना गया है तो इन उपासना स्थलों को क्यों बनाया जाता है इसकी स्थापना के पीछे मानव का क्या उद्देश्य है आज हम इसी विषय पर विस्तार से चर्चा कर रहे हैं तो आइए जानते हैं।

धार्मिक शास्त्रों की मानें तो उपासना स्थलों या मंदिरों की स्थापना के पीछे उद्देश्य था कि पूजा, आराधना और यज्ञ आदि द्वारा पवित्र तन्मात्रओं यानी पंचभूतों के सूक्ष्म रूप की सृष्टि की जाए किसी साधु ह्रदय मनुष्य को पूजा का कार्यभार सौंपा जाए स्थान का मन पर अदृश्य प्रभाव पड़ता है

कहते है कि अस्पतालों में हर तरह के रोग और रोगी दिखते हैं स्वस्थ मनुष्य भी वहां पर जाकर अशक्त महसूस करने लगता है मान्यता है कि मानव शरीर में रोजाना शुभ या अशुभ अदृश्य सूक्ष्म शक्ति राशि का उत्सर्जन होता रहता है।

माना जाता है कि मनुष्य मंदिर जाने से पहले अपने काम, क्रोध और आलस्य को बाहर छोड़ देता है और ईश्वर के प्रति भक्तिभाव से मंदिर में प्रवेश करता है सह सामूहिक भक्ति या उपासना शुीा तन्मात्रओं व तरंगों का सृजन करती है मान्यता है कि यहां आगमन दुर्बल मन वाले व्यक्ति में शक्ति का संचार करता है। सज्जन मनुष्यों से ही प्रार्थना स्थलों की पवित्रता बनी हुई है। कहा जाता है कि मंदिर में अगर बुरे कर्म वाले लोगों का आना जाना बढ़ जाए तो यह पवित्र स्थल भी अपनी पवित्रता को खोने लगता है।