कूनो नेशनल पार्क में मादा चीता नभा की मौत, पैर में फ्रैक्चर और गहरी चोटें मिलीं

श्योपुर (मध्य प्रदेश): कूनो नेशनल पार्क में चीता पुनर्वास परियोजना को एक और झटका लगा है। नामीबिया से लाई गई 8 वर्षीय मादा चीता नभा की शनिवार को मौत हो गई। कूनो प्रबंधन ने बताया कि नभा को एक सप्ताह पहले सॉफ्ट रिलीज बाड़े में गंभीर रूप से घायल अवस्था में पाया गया था। उसके दोनों बाएं पैर—अगला (Ulna) और पिछला (Fibula)—फ्रैक्चर हो चुके थे।

शिकार के प्रयास में घायल हुई थी नभा
प्रबंधन के अनुसार, संभवतः नभा शिकार के प्रयास के दौरान घायल हुई थी। एक सप्ताह से उसका इलाज जारी था, लेकिन गंभीर चोटों और कमजोरी के चलते वह बच नहीं सकी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट से उसकी मौत के वास्तविक कारणों की पुष्टि होगी।

चीतों की संख्या घटी: अब कुल 30 बचे

इस मौत के बाद अब कूनो नेशनल पार्क में कुल 28 चीते रह गए हैं, जिनमें 9 व्यस्क (6 मादा, 3 नर) और 17 भारत में जन्मे शावक हैं। वहीं गांधीसागर अभयारण्य में 2 नर चीते शिफ्ट किए गए हैं। भारत में अब कुल 30 चीते बचे हैं। सभी शेष चीते स्वस्थ बताए जा रहे हैं।

2022 में शुरू हुआ था प्रोजेक्ट चीता

70 साल बाद, भारत में चीतों को फिर से बसाने की महत्वाकांक्षी योजना 17 सितंबर 2022 को शुरू की गई थी। नामीबिया से 8 और दक्षिण अफ्रीका से 12 चीते लाए गए थे। इस बीच कई सफलताएं और असफलताएं सामने आईं - कई मौतें हुईं तो कुछ मादाओं ने शावकों को जन्म भी दिया।

चीतों की दुखद मौतों की फेहरिस्त लंबी

चीता साशा की किडनी इन्फेक्शन से 26 मार्च 2023 को मौत हुई थी। फिर नर चीता उदय की 23 अप्रैल को हार्ट अटैक से मौत हुई। मादा दक्षा की मौत नर चीते से लड़ाई में हुई। ज्वाला के चार में से तीन शावकों की कुछ ही हफ्तों में मौत हो गई। सूरज और तेजस की भिड़ंत, शौर्य, धात्री और पवन जैसे अन्य चीतों की मौत ने भी चिंता बढ़ाई है।

प्रोजेक्ट में कभी खुशी, कभी गम का दौर

हालांकि मादा चीताएं नीरवा और वीरा ने कुल 9 शावकों को जन्म दिया है, जो प्रोजेक्ट के लिए उम्मीद की किरण हैं। हाल ही में सभी चीतों को एंटी परजीवी दवाएं दी गई हैं और वे नियमित रूप से शिकार कर रहे हैं।