सौभाग्यवान से बड़ा वैराग्यवान होता है:- विभव सागर जी महाराज मंदिर मे भगवान पाशर्व नाथ की मूर्ति की स्थापना हुई

सौभाग्यवान से बड़ा वैराग्यवान होता है:- विभव सागर जी महाराज मंदिर मे भगवान पाशर्व नाथ की मूर्ति की स्थापना हुई :- भैंसदेही असी मसी कृषि शिल्प विद्या वाणिज्य कर्म का ज्ञान भगवान आदिनाथ ने प्रजा को बताया तभी तो प्रजापति कहलाये। भगवान आदिनाथ अपनी बेटियों को नाना प्रकार से शिक्षा देते है। विभव सागर महाराज ने कहा की इसी गांव की बेटी अक्षरा ने आजीवन ब्रह्मचर्य रहने की प्रतिज्ञा ली है। बेटियों को इतना प्रण लेना चाहिए की जब तक शादी नहीं होंगी तब तक हम ब्रह्मचरी ही रहेंगे। अन्य बेटियों ने भी तुमको देखकर प्रण लिया है। जो जिस कुल की है वह उसी कुल मे शादी करेंगी। भगवान आदिनाथ के तप करने के लिये वन जाने से पहले ब्राह्मलोक से देवता आये और भगवान आदिनाथ से तप करने जाने का कारण जाना और भगवान आदिनाथ के बताये कारण से संतुष्ट होकर ब्राह्मलोक वापस चले गए।इसके बाद पुत्र भरत और बाहुबली को राजपाट सौंप कर भगवान आदिनाथ तप करने वन चल पड़े। जब भगवान पालकी मे बैठकर जा रहे थे तब उनके माता पिता का रो रोकर बुरा हाल था । यह दृश्य देखकर महिलाओ के आँखो से आंसू रुक नहीं रहे थे बहुत ही भाव विहल दृश्य था।पालकी उठाने का पहला अवसर मनुष्य को मिलेगा दूसरा अवसर भगवान को पालकी उठाने से पहले युवाओ ने सारे व्यसन छोड़ने का प्रण लिया।आज प्रभु का तप दिवस है निर्वाण दिवस है। मनुष्य देह पाकर कोई भगवान के सामने विवाद नहीं करता क्योंकि भगवान के पास सारी समस्या का हल है। सुख का सारा समय अच्छे से बीत जाता है दुख का एक दिन भी भारी लगता है। ऋषि बनो या कृषि करो भगवान आदिनाथ ने बताया की कृषि दया का मार्ग है अहिंसा का मार्ग है। जो दृश्य मे अदृश्य को निहार लेता है वह है ऋषभ देव है।जीवन क्षण भंगूर है जाने कब कहा क्या कैसे हो जाए कोई भरोसा नहीं। एक मनुष्य को ही तपस्या करने का अधिकार है। भगवान को नहीं सौभाग्यावान से बड़ा वैराग्यवान होता है। सच्चे सुख को कैसे पाया जाता है जो ज्ञान आत्मा को मोक्ष मार्ग मे आगे बढ़ाता है वही आत्म ज्ञान कहलाता है। जो इन्द्रियों को बस मे करेगा वही विजय अपने आप पर पायेगा। भगवान आदिनाथ का अनुसरण करना चाहिए । बीज से वृक्ष बनता है साधना से तिल से तेल बनता है। साधना से राम ने रात्रि भोजन का त्याग किया था एक पक्षी गिद्धराज ने भी रात्रि भोजन का त्याग किया है। तो आप लोग क्यों नहीं करते मुनि लोग भी रात्रि के भोजन का त्याग करते है। खानदान शुद्धि तो खानपान शुद्धि भगवान आदिनाथ ने हमें सब कुछ सिखाया। श्रद्धा पक्की हो तो चमत्कार भी पक्का है। आज दीक्षा का दिवस है वैराग्य का दिवस है केश लोच साधना का प्रतिक है। भगवान आदिनाथ दिगंबर हुए तब तो आप दिगंबर कहलाते हो सीता जी ने राम से पहले सन्यास लिया था इसलिए सीताराम कहलाये। जिस इंसान के पास बुराई हो उस बुराई का त्याग करना ही यज्ञ है। रात्रि मे नाटिका के माध्यम से नमोकार मंत्र की महत्ता बताई गयी। आज सुबह विभव सागर महाराज द्वारा निर्माणाधीन मंदिर मे भगवान पाशर्व नाथ की मूर्ति की स्थापना की गई।