सांसद के प्रयासों से रिंग रोड के लिए बजट में 157 करोड़ स्वीकृत
वित्तीय समिति से अनुमोदन के बाद होगी प्रशासकीय स्वीकृति
बैतूल। बैतूल से सारणी, परासिया ,छिंदवाड़ा मार्ग को जोडऩे वाले बायपास, रिंग रोड के निर्माण का रास्ता साफ हो गया है। क्षेत्रीय सांसद डीडी उइके के प्रयासों से राज्य शासन ने रिंग रोड के लिए बजट में 157.42 करोड़ रुपए स्वीकृत किए हैं। 21 किमी लंबे बायपास रिंग रोड निर्माण हेतु राशि का बजट में प्रावधान करने हेतु सांसद ने मुख्यमंत्री को पत्र भेजा था। रिंग रोड निर्माण के जनहितैषी मुद्दे को गंभीरता से लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसे बजट सत्र में रखते हुए राशि का प्रावधान कर जिलेवासियों को बड़ी सौगात दी है। बजट में राशि का प्रावधान होने के बाद स्थायी वित्तीय समिति से अनुमोदन होते ही रिंग रोड निर्माण कार्य की प्रशासकीय स्वीकृति जारी हो जाएगी।
लोक निर्माण विभाग के उपयंत्री अखिलेश कवड़े ने बताया कि 21 किमी. रिंग रोड के लिए पिछले बजट सत्र मेें शासन ने 17 करोड़ रुपए टोकन राशि का प्रावधान किया था। इसके बाद इस बजट सत्र में रिंग रोड निर्माण की लागत राशि 157.42 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। सांसद डीडी उइके ने बताया कि मुख्यमंत्री द्वारा रिंग रोड के लिए 157.42 करोड़ रुपए का बजट में प्रावधान करने के बाद अब प्राक्कलन को स्थायी समिति से अनुमोदन करवाने एवं प्रशासकीय स्वीकृति जारी करवाने के लिए प्रयास किए जाएंगे। प्रशासकीय स्वीकृति जारी होते ही रिंग रोड का निर्माण शुरू हो जाएगा जो जिलेवासियों के लिए बड़ी सौगात होगा।
उल्लेखनीय है कि छिंदवाड़ा की ओर से बैतूल होकर आने वाले वाहनों को अभी भोपाल, नागपुर, परासिया की ओर जाना होता है तो उन्हें शहर के भीतर आना ही पड़ता है। इसी तरह यदि भोपाल, नागपुर, परासिया की ओर से आने वाले वाहनों को आमला या फिर छिंदवाड़ा की ओर जाना है तो उन्हें भी शहर के भीतर से ही जाना पड़ता है। बैतूल-परासिया स्टेट हाईवे तथा बैतूल से आमला होकर छिंदवाड़ा की सीमा तक टू-लेन मार्ग बन जाने के बाद इस मार्ग पर यातायात काफी बढ़ गया है। एक ओर शहर में भी वाहनों की संख्या काफी बढ़ गई है।
वहीं, दूसरी ओर बाहर जाने वाले भारी वाहनों की भी शहर के भीतर से आवाजाही से हादसों का अंदेशा काफी बढ़ गया है। आए दिन हादसे हो भी रहे हैं। यही कारण है कि बायपास की जरूरत महसूस की जा रही थी। शहर के जागरूक लोगों के द्वारा बायपास निर्माण की आए दिन मांग उठाई जा रही थी।