लंदन । वैज्ञानिकों को गैलेक्सी के केंद्र में 15 करोड़ प्रकाश वर्ष दूर अदभूत  नजारा दिखा। शोधकर्ताओं ने जेट और इंटरस्टेलर बादलों में गैस के दबाव को मापने के लिए यूरोपीय दक्षिणी वेधशाला, अटाकामा लार्ज मिलीमीटर एरे और वेरी लार्ज टेलीस्कोप के ऑब्जर्वेशन का इस्तेमाल किया। शोधकर्ताओं ने नोट किया कि जेट के परिणामस्वरूप उनके रास्ते में आने वाले आणविक बादलों के आंतरिक और बाहरी दबाव में बदलाव आया। वैज्ञानिक मानते हैं कि सभी आकाशगंगाओं के केंद्र में सुपरमैसिव ब्लैकहोल मौजूद हैं। जो भी कण इन ब्लैक होल में गिर जाते हैं वह ब्लैक होल के चुंबकीय क्षेत्र में फंस जाते हैं और प्लाज्मा के शक्तिशाली जेट के रूप में बाहर की ओर निकल जाते हैं।
अगर दूर से आप देखें तो दिखेगा कि ब्लैक होल के केंद्र में दोनों ओर लंबी प्लाज्मा निकलती है। लेकिन आईसी 5063 के केस में ये अलग है। आईसी 5063 गैलेक्सी 15.6 करोड़ प्रकाश वर्ष दूर है। इसमें जेट लंबवत न निकल कर घने आणविक बादलों में जाते हैं। जेट में इन आणविक बादलों को प्रभावित करने की क्षमता होती है। इसके कारण गुरुत्वाकर्षण में अस्थिरता होती है और फिर गैस के घनत्व के कारण तारे का निर्माण होता है। ये स्टडी नेचर एस्ट्रोनॉमी में पब्लिश की गई है। टीमों ने ऑब्जर्वेटरी के डेटा को लेकर कुछ एडवांस एस्ट्रोनॉमिकल एल्गोरिदम का इस्तेमाल कर रिजल्ट हासिल किया।अध्ययन के सह लेखक और कोलोन यूनिवर्सिटी के डीएफसी फेलो डॉ थॉमस बिस्बान ने कहा, 'हमने आईसी 5063 में मौजूद संभावनाओं की एक विस्तृत श्रंखला को कवर करने के लिए हजारों एस्ट्रोकेमिकल सिमुलेशन का को देखा।'
इस अध्ययन के लीड लेखक प्रोफेसर कल्लियोपी दसयरा के मुताबिक, 'शोध के रिजल्ट बताते हैं कि सुपरमैसिव ब्लैक होल भले ही आकाश गंगा की केंद्र में स्थित हों, लेकिन वह बड़े पैमाने पर तारों के निर्माण को प्रभावित कर सकते हैं।' सितारों के बनने को आखिर सुपरमैसिव ब्लैक होल कैसे प्रभावित कर सकते हैं, इसे लेकर खगोलविदों की एक टीम ने मॉडल तैयार किया है। ऑब्जर्वेटरी के डेटा का इस्तेमाल करते हुए इंटरस्टेलर बादलों में सितारों के गठन को प्रभावित करने वाले रिजल्ट सामने आए हैं।