भारत के मंदिरों का अपना ही एक अलग इतिहास है. ये मंदिरों तीर्थों (Gujarat) का ही देश है. भारत के अलग-अलग हिस्सों में कई प्राचीन मंदिर स्थित हैं. जहां पर लोग दूर-दूर से दर्शन करने आते हैं. अगर देश के भीतर से मंदिरों तीर्थों को निकाल दें तो शायद भारत का अस्तित्व ही खत्म हो जाएगा. इसलिए, आज हम आपको एक ऐसे प्राचीन मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जिसकी खासियत ही अलग है. ये मंदिर दिन में दो बार गायब हो जाता है.
जी हां, सही सुना आपने गुजरात में स्थित स्तंभेश्वर मंदिर (Stambheshwara Temple) को 'गायब मंदिर' (Gayab Mandir) भी कहा जाता है. इस मंदिर पर हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु अपना माथा टेकने के लिए पहुंचते हैं. यहां शिव जी की मूर्ति स्थापित है. देश-विदेश से शिव भक्त अपनी मनोकमना पूर्ण होने की कामना के साथ इस मंदिर में आते हैं. तो, चलिए आपको भगवान भोलेनाथ के इस अद्भुत मंदिर (disappearing temple in gujarat) के बारे में बताते हैं.

वडोदरा के पास स्थित है स्तंभेश्वर मंदिर
गुजरात के वडोदरा शहर से करीब 40 किलोमीटर दूर जंबूसार तहसील है. ये मंदिर वडोदरा के पास सबसे लोकप्रिय दार्शनिक स्थलों में से एक है. माना जाता है कि ये मंदिर करीब 150 साल पुराना है. पूरे साल इस मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहता है. खासतौर पर सावन के महीने में इस मंदिर में हजारों की संख्या में श्रद्धालु दूर-दूर से महादेव के दर्शन करने के लिए यहां आते हैं. भगवान भोलेनाथ को समर्पित इस मंदिर के प्रति गुजरात ही नहीं बल्कि देश-विदेश के लोगों की गहरी (disappearing stambheshwar temple) आस्था है.

दिन में 2 बार मंदिर के गायब होने की वजह
स्तंभेश्वर मंदिर दिन में 2 बार गायब हो जाता है. इसके गायब होने के पीछे की वजह प्राकृतिक है. दरअसल, ये मंदिर समुद्र के किनारे से कुछ मीटर की दूरी पर स्थित है. सुबह शाम के वक्त समुद्र का स्तर इतना बढ़ जाता है कि ये मंदिर जलमग्न हो जाता है. कुछ समय बाद पानी उतरने पर यह मंदिर फिर से अपने पुराने रूप में प्रकट हो जाता है. अपनी इसी विशेषता की वजह से इसे 'गायब मंदिर' भी कहा जाता है. इस अद्भुत नजारे को देखने के लिए रोजाना वहां सैकड़ों श्रद्धालु पहुंचते हैं. पानी उतरने के बाद वे मंदिर में जाकर पूजा-पाठ करते हैं भगवान भोलेनाथ से जीवन में सुख-समृद्धि की कामना (stambheshwar mahadev temple) करते हैं.

आत्मग्लानि दूर करने के लिए बनाया गया है मंदिर
कहा जाता है कि ताड़कासुर को मारने के बाद भगवान कार्तिकेय (Lord Kartikeya) ग्लानि महसूस कर रहे थे. इसकी वजह ये थी कि ताड़कासुर राक्षस होने के बावजूद भगवान शिव का परम भक्त था. उन्होंने एक शिव भक्त को मार दिया था. उनकी इस अवस्था को समझकर भगवान विष्णु ने उन्हें ढाढस बंधाया कहा कि लोगों को मारने वाले राक्षस का वध अनुचित नहीं है. इसके बाद भी कार्तिकेय अपराध बोध से मुक्त नहीं हो पाए. तब, भगवान विष्णु ने उन्हें समुद्र किनारे शिवलिंग की स्थापना कर पूजा करने की सलाह दी. माना जाता है कि भगवान कार्तिकेय ने जिस जगह मंदिर स्थापित किया था, वहीं पर ये गायब मंदिर (stambheshwar temple mystery) बना हुआ है.