भोपाल । नगर सत्ता के लिए मतदान का रंग पिछले चुनाव की तुलना में कुछ फीका रहा। देर रात जब मतदान का अंकड़े जारी हुए तो 50 प्रतिशत ही मतदाताओं ने मत का उपयोग किया। ये पिछले निकाय चुनाव से करीब छह प्रतिशत कम है। कम मतदान ने राजनीतिक दलों को चिंता में डाल दिया है। वहीं प्रशासन की चुनावी तैयारियों की भी पोल खोल दी है। आंकड़ों के लिहाज से प्रत्याशी और समर्थक हार-जीत का हिसाब करने में जुट गए। इधर मत का प्रतिशत घटने की अहम वजह प्रशासन का मतदाता तक चुनावी बदलाव से जुड़ी जानकारी ढंग से नहीं पहुंचा पाना भी है। भाजपा के नेता कम मतदात को लेकर तरह-तरह की वजह बता रहे हैं। कई नेताओं ने माना कि 7 से 8 प्रतिशत पोलिंग बूथ बदलने से मतदाता परेशान हुए। पार्टी स्तर पर ही पर्चियां बांटी गई जिस वजह से मतदाता निकले। इधर विपक्षी पार्टी आंकलन कर रही है कि कम मतदान का मायने उनके पक्ष में है। इस बार उत्तर विधानसभा के पांच और हुजूर विधानसभा के तीन वार्डों में सर्वाधिक मतदान हुआ है। इनमें उत्तर के वार्ड नंबर 16 में 75.00 और हुजूर के वार्ड नंबर तीन में 70.89 प्रतिशत मतदान हुआ है। वार्ड नंबर 16 से भाजपा के मोहम्मद तौफिक अहमद और कांग्रेस के मोहम्मद सरवर मैदान में थे। वहीं वार्ड नंबर तीन में भाजपा की करिश्मा विकास मीणा और कांग्रेस की रेनू विष्णु मारन मैदान में थे। इन वार्डों के अलावा उत्तर के वार्ड नंबर 10 में 62.28, 12 में 63.08, 15 में 61.43, और 11 में 58.45 प्रतिशत मतदान हुआ है। वहीं हुजूर के वार्ड नंबर एक में 58.56, 84 में 63.38 प्रतिशत मतदान हुआ है। नरेला के वार्ड 59 में 59.29 और मध्य के वार्ड 19 में 64.31 प्रतिशत मतदान हुआ है।

नाम नहीं मिला
सुबह से मतदान के लिए निकले मतदाताओं के साथ पर्चियों में नाम नहीं होने की शिकायत मिली। कई मतदाता पोलिंग बूथ और मतदाता पर्ची नहीं होने के कारण िबिना वोट दिए ही लौट गए। पोलिंग बूथ में जो कर्मचारी तैनात थे उन्हें भी आनलाइन पर्चियां निकालने का सही तरीके से प्रशिक्षण नहीं मिला जिसके कारण मतदाताओं को मुश्किल हुई।

हाइटेक दावे हवा में
भाजपा-कांग्रेस समेत कई प्रत्याशियों ने प्रचार के लिए तो हाईटेक प्रणाली इस्तेमाल किए। इंटरनेट मीडिया से लेकर ग्राफिक्स और दूसरे संसाधन इस्तेमाल किए लेकिन मतदाताओं मतदान स्थल तक पहुंचाने में यह प्रक्रिया नहीं अपनाई गई। प्रशासन की तरफ से न प्रत्याशियों ने मतदाताओं को पोलिंग बूथ की जानकारी ही नहीं दी। मेन्युअल पर्चियां कुछ बांटी गई लेकिन मोबाइल पर यदि पोलिंग बूथ और पर्चियां भेज दी जाती तो शायद मतदान का प्रतिशत बढ़ सकता था।