बोस्टन   आजकल कॉलेज के छात्रों में रातभर जागकर पढ़ने का चलन बढ़ता जा रहा है, लेकिन यह आदत उनके स्वास्थ्य पर विपरीत असर डाल रही है। हाल ही में हुए एक शोध में सामने आया कि देर रात तक जागने वाले कॉलेज छात्र अनिद्रा का शिकार हो रहे हैं। ये निराश रहते हैं और खुद को अकेला पाते हैं। देर रात जागने वाले छात्रों में आत्महत्या का जोखिम भी 3 गुना तक बढ़ जाता है।

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की न्यूरोसाइंटिस्ट एलिजाबेथ क्लेरमैन के मुताबिक ऐसे लाखों लोग हैं जो आधी रात तक जागते हैं। जबकि उनका दिमाग दिन की तरह काम करने में सक्षम नहीं होता है। क्लेरमैन का मानना है कि अकेलेपन, निराशा से बचाने और आत्महत्या जैसे विचार से दूर रखने के लिए देर रात कॉलेज स्टूडेंट्स के पास कोई परिजन मौजूद नहीं रहता। ब्राजील के शोध का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि देर रात जागने से ड्रग्स लेने का जोखिम 4.7 गुना तक बढ़ जाता हैं। रात में ज्यादा कार्बोहाइड्रेड युक्त भोजन की इच्छा भी ज्यादा होती है।

रात के समय दिमाग में कई हॉर्मोनल बदलाव होते हैं

क्लेरमैन के मुताबिक रात में दिमाग में कई हॉर्मोनल परिवर्तन होते हैं। ज्यादा मात्रा में डोपामाइन रिलीज होता है। इसके कारण व्यवहार में भी परिवर्तन आता है। बॉडी क्लॉक के अनुसार भी दिन का समय सक्रिय रहने और रात का समय सोने के लिए बना हुआ है।