हां मैं जिंदा हूं– सैम वर्मा बालाजीपुरम मंदिर संस्थापक

इस मुहिम से सरकारी कागजों में मृत व्यक्तियों को मिलेगा इंसाफ

अनिल वर्मा बैतूल 
 

बैतूल मप्र l देश मे ऐसे कई लोग आज भी हैं जिन्हें जिंदा होते हुए भी सरकारी दस्तावेजों में मृत घोषित कर दिया जाता है और उनकी पूरी ज़िंदगी खुद को जीवित साबित करने में बीत जाती है । इस काम मे पैसे और समय की बर्बादी इन पीड़ितों को  हाशिये पर ला देती है । लेकिन अब बैतूल के बालाजीपुरम मन्दिर के संस्थापक एनआरआई सैम वर्मा ने एक अनूठा अभियान शुरू किया है जिसका नाम है * हाँ मैं ज़िंदा हूँ* । इस अभियान के तहत बैतूल का बालाजीपुरम मन्दिर कागजों पर मृत घोषित किये गए लोगों को न्याय मिलने तक कानूनी और आर्थिक सहायता मुहैया करवाएगा । मन्दिर प्रबंधन देश के किसी भी ऐसे व्यक्ति की मदद करेगा जो जिंदा होते हुए भी दस्तावेजो में मर चुका है । 

  साल 2021 में आई पंकज त्रिपाठी की फ़िल्म कागज़ में दिखाया गया था कि कैसे जायदाद के लालची लोग अपनो को कागज़ में मृत घोषित करवाकर उनकी संपत्ति हड़प लेते हैं और इसके बाद कागजों पर मर चुका एक शख्स खुद को जीवित साबित करने की जद्दोजहद करता है । फ़िल्म की कहानी एक रियल लाइफ स्टोरी थी वहीं देश मे ऐसे कई मामले आज भी सामने आते रहते हैं जब खुद को जीवित साबित करने में लगे किसी पीड़ित को कानूनी और आर्थिक सहायता नहीं मिल पाती है और समाज सिस्टम के सामने वो एक मजाक बनकर रह जाता है । ऐसे ही पीड़ितों को अब बैतूल के बालाजीपुरम मन्दिर से मदद मिलेगी जिसका बीड़ा उठाया है मन्दिर के संस्थापक एनआरआई सैम वर्मा ने । 

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               संस्थापक, बालाजीपुरम मन्दिर   एनआरआई सैम वर्मा ने हाँ मैं जिंदा हूँ नाम का अभियान शुरू किया है जिसके तहत देश का कोई भी ऐसा पीड़ित जिसे जीवित रहते सरकारी दस्तावेजों में मृत घोषित किया गया हो वो तो बैतूल के बालाजीपुरम मन्दिर  कार्यालय में सम्पर्क कर सकता है । अगर पीड़ित मानसिक तौर पर कानूनी लड़ाई के लिए तैयार है तो बालाजीपुरम मन्दिर संस्थान उस पीड़ित की लोअर कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक मदद करने तैयार है । केस चलने तक मन्दिर प्रबंधन पीड़ित के रहने खाने का बन्दोबस्त भी करेगा । पीड़ित को एक रुपया भी जेब से खर्च नहीं करना होगा । 

 

बालाजीपुरम मंदिर के गेट पर लगा हां मैं जिंदा हूं का पोस्टर बना चर्चा का विषय

 बैतूल के बालाजीपुरम मन्दिर के बाहर एक फ्लेक्स लगाया जा चुका है जो लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है इस पोस्टर  में  पीड़ितों को मदद दिलाने की पेशकश की गई है । सैम वर्मा अप्रवासी भारतीय ज़रूर हैं लेकिन वो हमेशा कुछ ऐसा काम कर देते हैं जो सबसे हटके होता है । ये वही सैम वर्मा हैं जिन्होंने अपनी पत्नी को चांद पर जमीन का टुकड़ा खरीद कर गिफ्ट किया है । जो इंसान चांद पर ज़मीन खरीद सकता है वो धरती पर किसी को न्याय दिलाने में जरूर मदद करेगा । इसलिए देश मे अगर ऐसा कोई भी व्यक्ति हो जो जीवित रहते हुए भी जिंदा साबित होने के लिए संघर्ष कर रहा हो तो वो बैतूल के बालाजीपुरम मन्दिर में शरण ले सकता है ।