लटेरी गोलीकांड मामला-

वन कर्मियों पर कार्रवाई से कर्मचारी संगठनों में नाराजगी, न्यायिक जांच की मांग

वन कर्मियों ने उत्कृष्ट कार्यों के लिए प्रदाय प्रशस्ति पत्रों का किया बहिष्कार

रेंजर एसोसिएशन व वन कर्मचारी संगठनों में बढ़ा आक्रोश, आग्नेय शस्त्र जमा करने का कर लिया संकल्प

 

बैतूल। विदिशा जिले के लटेरी में वन अमले की गोली से मारे गए आदिवासी के मामले ने अब तूल पकड़ लिया है। इस मामले में रेंजर एसोसिएशन व वन कर्मचारी संगठनों के आव्हान पर समस्त कर्मचारियों ने उत्कृष्ट कार्यों के लिए प्रदाय किए गए प्रशस्ति पत्रों का बहिष्कार कर दिया। एसोसिएशन ने मंगलवार को मुख्यमंत्री के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर वन कर्मियों पर कार्रवाई का विरोध किया है।

ज्ञापन में जिला अध्यक्ष आकाश प्रधान ने बताया कि विगत 9 और 10 अगस्त की रात्रि में वन परिक्षेत्र दक्षिण लटेरी खटियापराए जंगल में कुख्यात वन माफिया गिरोह के साथ सागौन की लकड़ी की तस्करी और अवैध कटाई को रोकने के लिए लटेरी के वन अमले और अपराधियों के मध्य हुई मुठभेड़ में कुख्यात अपराधी की मृत्यु हो गई थी। जिसके विरुद्ध पूर्व से प्रकरण माननीय न्यायालय में विचाराधीन हैं। मृत्यु होने के कारण शासकीय कर्तव्य के दौरान वन सुरक्षा हेतु तैनात वन अमले पर राजनैतिक एवं शासन के दबाव के चलते विदिशा पुलिस प्रशासन के द्वारा नियम विरुद्ध तरीके से बिना न्यायिक जांच के वन विभाग के कर्मचारियों और अधिकारियों पर एफ आई आर दर्ज करके गिरफ्तारी उपरांत जेल अभिरक्षा में भेजा गया है।एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री को लिखा है कि प्रदेश के वन रक्षक से लेकर रैंजर तक दिन रात एक कर हर मौसम में वन एवं वन प्राणियों की सुरक्षा के लिए मुस्तैद रहकर अपना कर्तव्य निभा रहा है। इसलिए ही वनसुरक्षा में तैनात वन अमले को शासकीय बंदूकें एवं रिवॉल्वर उपलब्ध कराई गई थी, जो नाम मात्र के लिए शोपीस बनी हुई है।

--कर्मचारी संगठन ने की न्यायिक जांच की मांग--

कर्मचारी संगठन ने ज्ञापन में बताया कि जिन वनकर्मियों को वनों की सुरक्षा के लिए तैनात किया गया है, वह अपना कार्य कर रहे थे। जिस व्यक्ति की मृत्यु हुई है, उस पर पहले भी लकड़ी चोरी के प्रकरण दर्ज हुए हैं और वह आदतन अपराधी भी रहा है। उन्होंने इस मामले में न्यायिक जांच की मांग की है। जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती तब तक वन कर्मियों की गिरफ्तारी न की जाए।

-वनकर्मियों का टूटेगा मनोबल-

 कर्मचारी संगठन का कहना है कि एक और शासन-प्रशासन वन अमले को खाकी वर्दी देने के साथ बंदूक भी देती है ताकि जंगलों में वन संपदा, लकड़ी, वन्य प्राणी और इससे जुड़े विभिन्न चीजों को सुरक्षित रखा जा सके। जब वनों में लकड़ी कटाई होने के मामले सामने आते हैं तब भी वनकर्मियों पर ही गाज गिरती है। आज अवैध कटाई और अवैध परिवहन पर शासन के निर्देशानुसार कार्रवाई करने का प्रयास किया गया, तब भी वनकर्मियों पर ही गाज गिरी है। इस लिहाज से अब वनकर्मी मुखबिर की सूचना तो दूर आंखों के सामने चोरी हो रही लकड़ियों पर भी कार्रवाई करने से गुरेज करेगा।

--वन कर्मचारियों को तत्काल वन बल घोषित किया जाए--

रेंजर एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष अमित साहू ने बताया कि श्रीमान प्रधान मुख्य वन संरक्षक को जब वन बल प्रमुख का दर्जा प्राप्त है तब उसी आधार पर उनके अधिनस्थ मैदानी वन कर्मचारियों को तत्काल वन बल घोषित किया जाए, आईपीसी के तहत वन क्षेत्रों में घटित समस्त अपराधों को रोकने की शक्तियाँ  प्रदान की जाए। सच सामने आ सके इसलिये संदर्भित पत्रों और सीआरपीसी की धपारा 197 के अनुसार गोली चालन की घटना में वन कर्मचारियों के विरूद्ध की जाने वाली एफआईआर में गिरफ्तारी के पहले मजेस्ट्रियल जाँच करवाई जाए, वर्तमान में इन पत्रों/नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है। अतः इसका पालन करने हेतु कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक को तत्काल निर्देशित किया जाए,।  दिनांक 9 एवं 10 अगस्त के बीच रात्रि में घटित सामान्य वन मंडल विदिशा में पुलिस द्वारा एफआईआर दर्ज की गई है उस पर की जाने वाली कार्यवाही पर तत्काल रोक लगाते हुये मजेस्ट्रियल जाँच करवाई जावे, ताकि मैदानी वन कर्मचारियों को न्याय प्राप्त हो सके।