भोपाल । राजधानी के 90 फीसदी अस्पतालों में फायर हाइड्रेंट जनरेटर से नहीं जोड़े गए हैं। ये लापरवाही नगर निगम के फायर अमले द्वारा अस्पतालों के निरीक्षण में सामने आई। जबलपुर के निजी अस्‍पताल में हुई दुर्घटना के बाद भोपाल में अस्पतालों का फायर आडिट शुरू किया गया है। अग्निशमन दस्ते को अस्पतालों में लगे फायर अलार्म भी बंद मिले। इसके साथ ही अग्निशमन यंत्र भी एक्सपायर हो गए थे। बता दें कि राजधानी में करीब 349 अस्पताल हैं और इनमें से 225 अस्पतालों व नर्सिंग होम्स के पास अस्थाई (टेंपरेरी) एनओसी है। बाकी प्रोविजनल या बिना फायर सेफ्टी एनओसी के संचालित हो रहे हैं। ऐसे में इन अस्पतालों में अग्नि दुर्घटनाओं का अंदेशा तो है, लेकिन उन अस्पतालों और नर्सिंग होम्स जिनके पास फायर एनओसी है और उन्होंने फायर सेफ्टी बंदोबस्त किए हैं, वहां भी खतरा कम नहीं है। वजह ये है कि संचालकों ने अस्पतालों में फायर सेफ्टी संबंधी जरूरी उपकरण तो लगवा लिए हैं, लेकिन अस्पताल के स्टाफ को उपकरण चलाने की कोई ट्रेनिंग नहीं दी गई है।नगर निगम की टीम आराधना नगर स्थित शुक्ला अस्पताल पहुंची तो इसी तरह की कमी मिली। यहां फायर सेफ्टी का आधुनिक सिस्टम लगा हुआ था, लेकिन आग लगने पर इसे कैसे चलाया जाएगा, इसकी जानकारी स्टाफ में किसी को भी नहीं थी। यही नहीं यहां आठ अग्निशमन यंत्र ऐसे लगे थे, जो एक्सपायर हो गए थे।शुक्ला अस्पताल में फायर आडिट करने पहुंचे फायर फाइटर पंकज खरे ने बताया कि अस्पताल में फायर सेफ्टी सिस्टम लगा हुआ था, लेकिन इसे मेन लाइन से जोड़ा गया था। यहीं सिस्टम इलेक्ट्रिसिटी लाइन में लगी एमसीबी भी गिरी हुई (बंद) थी। सीएमएचओ डा. प्रभाकर तिवारी ने उन अस्पतालों को नोटिस दिया है, जिनकी फायर एनओसी तीन महीने के भीतर खत्म होने वाली है। ऐसा इसलिए किया गया है कि समय रहते अस्पताल नगर निगम से फायर एनओसी ले सकें। उन्होंने यह भी बताया कि एमपी आनलाइन के पोर्टल पर ऐसी व्यवस्था की गई है कि जैसे ही फायर एनओसी खत्म होगी नर्सिंग होम का लाइसेंस अपने आप खत्म हो जाएगा। उन्होंने बताया कि भोपाल में 349 अस्पताल हैं। इनमें करीब 20 अस्पतालों को छोड़कर दें तो बाकी की अस्थाई एनओसी है। मालूम हो कि किसी भी प्रतिष्ठान में आग लगने पर सबसे पहले वहां की बिजली आपूर्ति बंद होती है। ऐसे में आग से बचने के लिए लगाए गए फायर हाइड्रेंट (पानी आपूर्ति करने वाला सिस्टम) काम करना बंद कर देते हैं। ऐसे में आग बुझाने में इनका उपयोग नहीं हो पाता। इसके लिए जरूरी है कि फायर हाइड्रेंट के कनेक्शन को जनरेटर से जोड़ा जाए।