ताइपे । चीन की विस्तारवादी नीति से पूरी दुनिया वाकिफ है। दुनिया जानती है, कि चीन की मंशा ताइवान पर कब्जा करने की है। जिस दिन से रूस ने यूक्रेन पर हमला किया है, उस दिन से चीन की भूख भी ताइवान पर हमला करने की बढ़ गई है। चीन की मंशा पर ही अब अमेरिका की खुफिया एजेंसी सीआईए की तरफ से बड़ा बयान सामने आया है। सीआईए चीफ बिल बर्न्स ने दावा किया है कि यूक्रेन युद्ध का हश्र देख चीन अपने ताइवान प्लान को रिव्यू करने पर मजबूर हुआ है। सीआईए के अनुसार यूक्रेन ने अब तक रूस के 15 हजार से ज्यादा सैनिकों को मारा है और करीब 45 हजार को जख्मी कर दिया है। रूस जैसी सैन्य शक्ति के सामने यूक्रेन के डटकर खड़े हो जाने के कारण चीन भी घबराया हुआ है।
बिल बर्न्स ने कहा कि चीन ने यूक्रेन में देखा है कि आप जबरदस्त सैन्य ताकत के साथ अचानक त्वरित और निर्णायक जीत हासिल नहीं कर सकते हैं। उन्होंने इन अटकलों को खारिज कर दिया कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग इस साल के अंत में कम्युनिस्ट पार्टी की अहम बैठक के बाद ताइवान प्लान पर आगे बढ़ सकते हैं। हालांकि उन्होंने कहा कि मैं स्व-शासित ताइवान पर चीन के विस्तारवादी मंसूबे के राष्ट्रपति शी की नीति को कम नहीं आंकूंगा। सीआईए के प्रमुख ने कहा कि चीन को हमला करना है, तब नई रणनीति बनानी होगी। सैन्य ताकत से रातों-रात कुछ बदला नहीं जा सकता। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सूचना पर नियंत्रण सबसे ज्यादा जरूरी है। प्रतिबंधों से उबर सके ऐसा इकनोमिक प्लान बनाना होगा।
चीन की मंशा पर ही ब्रिटेन की खुफिया एजेंसी एमआई-6 नेवी दावा किया था। एमआई-6 के प्रमुख रिचर्ड मूर ने कहा कि पश्चिमी देशों का ज्यादा मकसद यूक्रेन में युद्ध जीतने पर रहे क्योंकि चीन की नजर इस जंग पर है। जिसकी आड़ में ड्रैगन अपने ताइवान मिशन को पूरा करने की फिराक में है। यह पहली मर्तबा है जब विदेशी धरती पर हमें एमआई-6 के प्रमुख ने कोई इंटरव्यू दिया। रिचर्ड मोड़ ने इंटरव्यू में कहा कि पश्चिमी देशों को यह संदेश देने की जरूरत है, क्या कर चीन ने ताइवान पर हमला किया तब उसके गंभीर नतीजे भुगतना होगा। मूर ने कहा कि चीन अमेरिका की ताकत को गलत आंक रहा है।