काबुल । अफगानिस्तान में काबिज तालिबान बोलता भले ही कुछ पर उसका एजेंडा आज भी चरमपंथी ही है। वह कहता है कि अफगान धरती का इस्तेमाल किसी दूसरे मुल्के के खिलाफ नहीं होने दिया जाएगा। लेकिन संयुक्त राष्ट्र की ताजा रिपोर्ट बताती है कि तालिबान के ये वादे सिर्फ हवा-हवाई हैं। तालिबान राज में आतंकवादी संगठन अल-कायदा अफगानिस्तान में 'महफूज' है और 'खुली छूट' के साथ रह रहा है जिससे भविष्य में वह लंबी दूरी के हमलों को अंजाम दे सकता है। सदस्य देशों की ओर से मुहैया कराई गई खुफिया जानकारी के आधार पर संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में यह चौंकाने वाला दावा किया गया है।
यह रिपोर्ट चिंताओं को बढ़ाती हैं कि पिछले साल अमेरिकी और नाटो सैनिकों की वापसी के बाद अफगानिस्तान एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय आतंकवादियों का अड्डा बन सकता है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के आलोचक सैनिकों की वापसी के उनके फैसले को अफगानिस्तान की बर्बादी का कारण मानते हैं। अब इस रिपोर्ट के आधार वे बाइडन को एक बार फिर घेर सकते हैं जो तालिबान और अल-कायदा के बीच 'करीबी संबंधों' के संकेत देती है। हालांकि अफगानिस्तान में बड़ी संख्या में विदेशी चरमपंथियों के पहुंचने की जानकारी अभी तक नहीं मिली है। बीते कुछ साल में अल-कायदा इस्लामिक स्टेट की हिंसा के पीछे छिप गया है। लेकिन अभी भी यह दक्षिण एशिया, मिडिल ईस्ट और साहेल के कुछ हिस्सों में मौजूद है और एक संभावित खतरा बना हुआ है। अल-कायदा के कई सीनियर लीडर अफगानिस्तान में मौजूद हैं और इसके सदस्य कई देशों में छिपे हुए हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक तालिबान अल-कायदा पर लगाम लगाने की कोशिश कर रहा है लेकिन चिंता की बात यह है कि ये प्रयास लंबे समय पर नहीं चल पाएंगे। रिपोर्ट के लेखकों ने कहा है कि अज्ञात संख्या में अल-कायदा सदस्य काबुल के पूर्व राजनयिक आवास में रह रहे हैं जहां वे विदेश मंत्रालय के साथ बैठकें भी कर सकते हैं। हालांकि लेखकों ने इस जानकारी की पुष्टि नहीं की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अल-कायदा के सरगना अयमान अल-जवाहिरी के बयानों और बातचीत के अचानक बढ़ने से पता चलता है कि वह 'अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे से पहले की तुलना में अब अधिक प्रभावी तरीके से नेतृत्व करने में सक्षम हो सकता है'। संयुक्त राष्ट्र की पिछली रिपोर्ट में कहा गया था कि जवाहिरी गंभीर रूप से बीमार है। वहीं कुछ अधिकारियों के मुताबिक 70 साल के आतंकी की मौत हो चुकी है।