*उतारने धरती का भार प्रभु लेते है अवतार- पंडित मनावत* 
 
भैंसदेही धरती ने प्रभु से कहा कि मुझे पर्ततों का भार नहीं लगता, मुझे वृक्षों का भार नहीं लगता, मुझे सागर-सरिता का भार नहीं लगता, परंतु मैं पापी का बोझ उठाने में असमर्थ हूं। पापियों के भार से मुझे मुक्त करे। भगवान धरती के इस भार को ही उतारने के लिए अवतार लेते है। ये विचार सिविल लाइन कोडीढाना भैंसदेही में चल रही श्रीमद भागवत कथा में चौथे दिन कृष्ण अवतार की कथा सुनाते हुए पंडित जी ने व्यक्त किये। कथा वाचक पंडित मनावत जी महाराज ने कहा कि धर्म के लिए कपट सहने वालों में वसुदेव जी का नाम सर्वोपरी है। हरिशचंद्र जी ने एक बेटा बेचा, महाराज मोरध्वज ने एक बेटे पर आरा चलाया, महाराज दशरथ ने दो बेटो को वनवास भेजा, परंतु धन्य है वसुदेव जिन्होंने अपने सामने छ-छह बच्चों की मौत देखी। धर्म के लिए पीड़ा सहने की पराकाष्टा का नाम वसुदेव है। इसलिए उन्हीं के नाम पर मंत्र बना मनो भगवते वासुदेवाय: नम:। भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव पर भक्तों ने भाव विभोर होकर नृत्य किया। बधाईयां बांटी गई। प्रमुख यजमान बलराम महाले व परिवार ने व्यास पूजन किया। पंडित मनावत जी महाराज ने कहा कि भाव से पुकारने पर प्रभु का अवतार होता है। धर्म की जय के लिए प्रभु भक्ति की लीला करते है। अधर्म के नाश के लिए प्रभु संहार की लीला करते है। कथा में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने कथा का श्रवण किया।