सनातन धर्म में हर पर्व हर त्योहार का बड़ा अधिक महत्व माना जाता है. हिंदू पंचांग के मुताबिक साल में चार बार नवरात्र का पर्व मनाया जाता है. जिसमें दो नवरात्रि काफी प्रचलन में है. नवरात्रि के नौ दिनों में माता दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा आराधना की जाती है. प्रत्येक वर्ष में दो गुप्त नवरात्रि जिसमे एक माघ की गुप्त नवरात्रि तो दूसरा आषाढ़ की गुप्त नवरात्रि इसके साथ ही एक चैत्र रामनवमी और दूसरा कुवार की नवरात्रि मनाई जाती है. धार्मिक मान्यता के मुताबिक नवरात्रि के नौ दिनों में मां जगत जननी जगदंबा के 9 स्वरूपों की पूजा आराधना की जाती है. आज हम आपको इस रिपोर्ट में बताएंगे की गुप्त नवरात्रि की 10 महाविद्याएं कौन है.

अयोध्या के ज्योतिष पंडित कल्कि राम बताते हैं कि गुप्त नवरात्रि का पर्व 10 फरवरी से शुरू हो रहा है. जिसमें घट स्थापना का शुभ मुहूर्त 10 फरवरी सुबह 8:45 से सुबह 10:10 तक रहेगा तो वहीं अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12:13 से 12:58 तक रहेगा. 18 फरवरी को माघ माह की गुप्त नवरात्रि समाप्त होगी.गुप्त नवरात्रि में मां काली और दस महाविद्या की पूजा गुप्त रूप से की जाती है.

गुप्त नवरात्रि के 10 महाविद्या
मां काली, मां तारा, मां छिन्नमस्ता, मां षोडशी, मां भुवनेश्वरी, मां त्रिपुर भैरवी, मां धूमावती, मां बगलामुखी, मां मातंगी और मां कमला की पूजा करने का विधान है और यह 10 महाविद्या मां दुर्गा के ही रूप मानी जाती है. माना जाता है कि इसकी आराधना करने से साधक की सिद्धि पूरी होती है.

दस महाविद्या की पूजा के लाभ
माघ माह की गुप्त नवरात्रि के दौरान मुख्य रूप से 9 दिनों में 10 महाविद्याओं की पूजा आराधना की जाती है. इस पूजा को तंत्र मंत्र की साधना के लिए भी खास माना जाता है. इतना ही नहीं अधिकतर अघोरी द्वारा गुप्त नवरात्रि की पूजा आराधना की जाती है. माना जाता है कि इस पूजा अनुष्ठान को जितना गुप्त रखा जाता है उतना ही मनोकामना भी पूरी होती है. यही वजह है कि इस नवरात्र को गुप्त नवरात्र के नाम से जाना जाता है. 9 दिनों तक अखंड दीप जलाया जाता है.