भोपाल ।   मध्यप्रदेश विधानसभा एवं लोकसभा (प्राइड) के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित विधानसभा के नव निर्वाचित सदस्यों के दो दिवसीय प्रबोधन कायर्क्रम का समापन बुधवार हो गया। समापन सत्र को संबोधित करते हुए मध्य प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि आगामी सात फरवरी से शुरु होने वाले विधानसभा सत्र में प्रथम बार निर्वाचित सदस्यों को सदन में बोलने की प्राथमिकता दी जाएगी। तोमर ने कहा कि प्रत्येक सदस्य को सदन में बोलने का अवसर मिले, इसके लिए हमें प्रयास करना चाहिए। शून्यकाल में लिखित सूचनाओं पर बोलने का प्रावधान अभी है, किंतु आगामी सत्र में यह भी निर्धारित किया जाएगा कि शून्यकाल में महत्वपूर्ण तत्कालीन घटनाओं पर भी सदस्य अपनी बात रख सकेंगे। स्पीकर तोमर ने कहा कि इस बार 69 विधायक पहली बार चुन कर आए हैं। उन्हें एक पत्र भेजकर उनसे इस दो दिवसीय प्रबोधन कार्यक्रम के अनुभव पर प्रतिक्रिया ली जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि नए विधायकों के लिए एक और प्रबोधन कार्यक्रम अगर आवश्यक लगे तो उस दिशा में विचार करना चाहिए।

राजेंद्र सिंह ने भी दिया प्रशिक्षण

विधानसभा के पूर्व उपाध्यक्ष व वर्तमान सदस्य डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह ने कहा कि जनता की सेवा करना ही सबका लक्ष्य है। आपसी समन्वय से ही इसे हासिल किया जा सकता है। उन्होंने नव निर्वाचित सदस्यों को बजट निर्माण की प्रक्रियाओं की विस्तार से जानकारी दी। राज्य सरकार द्वारा मुख्य, पूरक एवं लेखानुदान बजट विधानसभा से पारित कराया जाता है। इस दौरान सभी सदस्यों को चर्चा का अवसर मिलता है। बजट पर चर्चा का दिन विधानसभा अध्यक्ष तय करते हैं। वे विधानसभा की "कार्य मंत्रणा समिति" के अध्यक्ष भी होते हैं। बजट कटौती प्रस्ताव रखने वाले सदस्यों को भी अपनी बात रखने का अवसर मिलता है। विभागीय बजट पर चर्चा होती है। मुख्य वक्ता डॉ. सिंह ने कहा कि अनुदान मांगों पर चर्चा महत्वपूर्ण होती है, जिसमें सभी सदस्यों का मत लिया जाता है। विनियोग विधेयक के जरिये सरकार समेकित निधि से भी राशि आहरण कर सकती है। कोई भी सदस्य इसमें असहमति व्यक्त नहीं कर सकता। कभी-कभी वित्त विधेयक भी लाया जाता है, पर इसके लिए विधायकों का मतदान कराया जाता है। 

सीताशरण शर्मा ने बताया प्रश्नकॉल के बारे में 

द्वितीय सत्र में 'प्रश्नकाल एवं प्रश्नों से उद्भूत आधे घंटे की चर्चा' विषय पर मुख्य वक्ता के रूप में अपने संबोधन में म.प्र. विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष एवं वर्तमान सदस्य डॉ. सीताशरन शर्मा ने कहा कि प्रश्नकाल विधानसभा का एक अत्यंत महत्वपूर्ण विषय होता है। शर्मा ने कहा कि इस आधे घंटे में तारांकित व अतारांकित दोनों प्रश्नों पर चर्चा हो सकती है। इसमें मतदान नहीं होता है, सदस्य अपनी बात रखते हैं, फिर विभागीय मंत्री जवाब देते हैं। अति महत्वपूर्ण विषय से जुड़े किसी बिन्दु पर इस आधे घंटे की चर्चा में राज्य सरकार, यदि अत्यंत आवश्यक हुआ, तो किसी दोषी शासकीय सेवक पर सख्त कार्यवाही की घोषणा भी कर सकती है।

विजयवर्गीय ने भी संबोधित किया

समापन सत्र को संसदीय कार्यमंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर सांसद एवं सभापति विशेषाधिकार समिति सुनील सिंह, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीताशरण शर्मा, मप्र विधानसभा सचिवालय के प्रमुख सचिव ए.पी.सिंह, विधानसभा के माननीय सदस्यगण, अधिकारीगण एवं पत्रकार उपस्थित थे। बता दें, दो दिवसीय प्रबोधन कार्यक्रम का शुभारंभ मंगलवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला एवं मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के आतिथ्य में हुआ। प्रबोधन कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष सतीश महाना, लोकसभा में लाभ के पदों पर गठित संयुक्त समिति के अध्यक्ष डॉ. सत्यपाल सिंह, लोकसभा महासचिव उत्पल कुमार सिंह, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीताशरण शर्मा, पूर्व राज्यसभा सदस्य सुरेश पचौरी, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र सिंह, सांसद एवं सभापति विशेषाधिकार समिति सुनील सिंह आदि ने संसदीय प्रक्रिया एवं सदन संचालन से संबंधित विभिन्न विषयों पर अपने ज्ञानवर्धक व्याख्यान विधानसभा के नव निर्वाचित सदस्यों को दि