मास्को । रूस यूक्रेन जंग के बाद अब कोल्ड वॉर ट्रीटी या‎निकी शीत युद्ध की कोई अह‎मियत नहीं रही। यही वजह है ‎कि नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गनाइजेशन यानी नाटो ने शीत युद्ध के दौरान सोवियत संघ (अब रूस) के साथ की गई कोल्ड वॉर सिक्योरिटी ट्रीटी को रद्द कर दिया है। नाटो ने यह फैसला दो वजह से किया। पहला तो वह जून में ही साफ कर चुका था कि अब इस ट्रीटी का कोई मतलब नहीं है। दूसरा अमेरिका और उसके सहयोगी नाटो देश यूक्रेन को सैन्य मदद दे रहे थे। गौरतलब है ‎कि इस ट्रीटी को मूल रूप से ‘कन्वेंशनल आर्म्ड फोर्स इन यूरोप’ कहा जाता है। इसमें आर्म्स कंट्रोल, ट्रांसपेरेंसी और रूल बेस्ड इंटरनेशनल लॉ फॉलो करना शामिल हैं। कोल्ड वॉर ईरा यानी शीत युद्ध के दौरान और उसके बाद कई तरह के समझौते हुए थे। जिस सिक्योरिटी ट्रीटी को ऑफिशियली रूस और नाटो ने एक ही दिन में सस्पेंड किया है, 1990 में साइन की गई थी। नाटो के सभी 31 मेंबर भी इस ट्रीटी का हिस्सा थे। इस ट्रीटी में कई बातें थीं। इसका सबसे अहम मकसद यह था कि कोल्ड वॉर के दौरान जिन देशों के विवाद थे, वो आपस में बॉर्डर तय कर करके सैन्य टकराव खत्म कर दें।
जब‎कि रूस कुछ मुद्दों पर सहमत नहीं था इस‎लिए इस ट्रीटी को दो साल बाद भी पूरी तरह अमल में नहीं लाया जा सका था। अब रूस-यूक्रेन जंग के दौरान इस ट्रीटी का कोई मकसद नहीं रह गया था। लिहाजा, रूस ने मंगलवार को इससे हटने का औपचारिक ऐलान कर दिया। हालांकि, 23 जून को ही उसने साफ कर दिया था कि वो इस समझौते को नहीं मानता। गौरतलब है ‎कि जून से ही नाटो मेंबर्स ये मानकर चल रहे थे कि रूस किसी भी वक्त इस समझौते से अलग होने का ऑफिशियल अनाउंसमेंट कर सकता है। लिहाजा, जैसे ही मंगलवार दोपहर रूस ने ऐसा किया, चंद घंटे बाद नाटो ने भी ट्रीटी के सस्पेंशन का ऐलान कर दिया। हालां‎कि रूस ने आठ साल पहले ही कह ‎दिया था कि इस ट्रीटी का कोई मतलब नहीं रह गया है।