भोपाल। बदलाव के दौर में कृषि में भी काफी कुछ बदल रहा है। सोयाबीन से लेकर मूंग, सरसों, अरहर, गेहूं, सब्जी और कई प्रकार की फसलों को कीट, बीमारी से बचाने के लिए समय-समय पर कीटनाशक, दवाओं का छिडक़ाव किया जाता है। एक मजदूर को पूरे दिन की मजदूरी और महंगे कीटनाशक के साथ ढाई एकड़ खेत में कीटनाशक का छिडक़ाव करने 35 से 40 बार पंप भरता है। दवा का मिश्रण बार-बार बनाता है। अब यही काम ड्रोन के माध्यम से किया जाएगा। ड्रोन से ढाई एकड़ खेत में दवा का छिडक़ाव करने में मात्र 20 मिनट लगेंगे। दवा भी एक्सपर्ट के माध्यम से तैयार की जाएगी, जिससे उसका अनुपात भी नहीं बिगड़ेगा।
ड्रोन से दवा डालने के लिए मुख्यालय स्तर पर कंपनियां डेमो दे चुकी हैं। अभी तीन कंपनियों से अनुबंध किया है। ये अपने ड्रोन और एक्सपर्ट के माध्यम से दवा का छिडक़ाव कराएंगे। इसके रेट तय होना बाकी हैं, जानकारों का कहना है कि रेट मजदूरी और कीटनाशक में खर्च होने वाले रुपयों के आधार पर ही तय होंगे। लेकिन कम रेट ही रहेंगे। ड्रोन की मदद से नैनो यूरिया और डीएपी भी डाला जा सकता है। अभी जरूरत पर मजदूर नहीं मिलते हैं, इससे कभी-कभी समय पर खेत में दवा नहीं डल पाती, फसल खराब हो जाती है। लेकिन इससे समय पर दवा और फसल भी अच्छी होगी।
1.47 लाख हेक्टेयर कृषि, 10532 हेक्टेयर सब्जी का रकबा
राजधानी में 1. 47 लाख हेक्टेयर कृषि का रकबा है। इसी में से 10532 हेक्टेयर रकबे में किसान कई प्रकार की सब्जी कर रहे हैं। भोपाल में गेहूं के अलावा, सरसों, मूंग, सोयबीन, चना सहित कई प्रकार की सफल होती हैं। इसमें हर सीजन में करीब पांच से छह लाख लीटर लीटर कीटनाशक का उपयोग होता है। ज्यादा कीटनाशक के उपयोग से जमीन भी खराब हो जाती है। लेकिन ड्रोन से कीटनाशक का छिडक़ाव होगा तो वह फसल पर ही जाएगा। जमीन पर कम जाने की संभावना होगी। इससे जमीन की उर्वरक क्षमता भी बची रहेगी।