मुंबई। बुधवार सुबह से मुंबई समेत महाराष्ट्र के कई इलाकों में मूसलाधार बरसात शुरू है. मुंबई-ठाणे और इसके आसपास के इलाकों में भी जोरदार बारिश हो रही है. इससे कई जगहों में जलजमाव हो गया है और ट्रैफिक की रफ्तार धीमी पड़ गई है. रायगढ़ जिले के पोलादपुर में आंबेनली घाट में रात से लेकर सुबह तक दो बार चट्टान खिसकने की खबर है. इस वजह से यह रास्ता बंद कर दिया गया है. खास तौर से राज्य के 9 जिलों में मूसलाधार बरसात शुरू है. इनमें मुंबई, ठाणे, पुणे, नासिक, सातारा, रायगढ़, रत्नागिरी, कोल्हापुर और पालघर जिले हैं. मौसम विभाग ने इन जिलों के लिए येलो और ऑरेंज अलर्ट जारी किया है. बरसात का आलम यह है कि महाराष्ट्र के कई निचले इलाकों में पानी भरने का अनुमान जताया गया है और लोगों से पेड़ों के नीचे खड़े होने से बचने की सलाह दी गई है. तेज हवाओं के साथ होने वाली मूसलाधार बरसात में कई जगहों पर पेड़ गिरने की घटनाएं सामने आई हैं. मौसम विभाग के मुताबिक अगले तीन-चार दिनों तक राज्य के इन नौ जिलों में मानसून पूरे जोर से सक्रिय रहेगा. इस वजह से इन इलाकों में मूसलाधार और अत्यधिक मूसलाधार बरसात होने का अनुमान है. 
मुंबई के पश्चिमी उपनगर मालाड में पेड़ गिरने से एक 38 साल के कौशल दोषी की मौत होने की खबर है. बताया गया है कि मलाड पश्चिम के मामलेदार वाडी इलाके में मणिभाई मुंजी चाल में लगभग 35 फीट लंबा और चार फीट चौड़ा एक पिंपल पेड़ गिर गया। बुधवार सुबह कौशल चाली में शौच के लिए गया था। पेड़ का भारी हिस्सा कौशल के सिर पर गिरने से उसकी मौके पर ही मौत हो गई। जबकि कांदिवली के लालजी पाड़ा इलाके में दस मिनट की बारिश में ही सड़कें नदी बन गईं. लालजी पाड़ा के इंदिरानगर से रेलवे स्टेशन तक जाने वाली सड़क पर पानी जमा होने से आवाजाही में खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा. इस सड़क से हर रोज हजारों लोग रेलवे स्टेशन तक पैदल जाते हैं. इनमें से स्कूल जाने वाले बच्चों की तादाद भी बहुत ज्यादा है. उधर बोरिवली, मालाड, अंधेरी, गोरेगांव और दहिसर जैसे इलाकों में बारिश का जोर ज्यादा है और जगह-जगह पानी भर गया है. सड़कों और गलियों में गटर से निकले शौच का पानी सड़कों पर बह रहा है. इससे बरसाती बीमारियां फैलने का खतरा बढ़ गया है. हर साल मुंबई मनपा की ओर से नाले सफाई और मानसून में होने वाली बरसात से निपटने की तैयारियों के बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं. सरकारें बदलती रहती हैं, लेकिन मनपा के अधिकारियों, कर्मचारियों का रवैया नहीं बदलता. मुंबई की सड़कों पर जल जमाव की समस्या नहीं सुलझती. इस समस्या को सुलझाने के लिए खर्चों का बजट हर साल बढ़ता रहता है.