आसमान छूती महंगाई से फिलहाल राहत मिलने की उम्मीद नहीं है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में उछाल, रेपो दर में इजाफा, गेहूं और अन्य खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों को देखते हुए चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही तक महंगाई की मार पड़ती रहेगी। इस दौरान न सिर्फ पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ेंगे बलि्क पहले से ज्यादा ईएमआई भरनी होगी। हालांकि, महंगाई से आम लोगों को राहत देने के लिए सरकार और आरबीआई ने कई कदम उठाए हैं। आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति की तीन दिवसीय बैठक सोमवार से शुरू हो गई है। बुधवार को इसके फैसले आएंगे, जिसमें रेपो दर में फिर 0.35-0.40% बढ़ोतरी की घोषणा हो सकती है। अगर ऐसा हुआ तो विभिन्न प्रकार के कर्ज महंगे हो जाएंगे। इसका असर लोगों की मासिक किस्त  पर पड़ेगा। उन्हें पहले से ज्यादा ईएमआई भरनी होगी। विशेषज्ञों का मानना है कि खुदरा महंगाई के अप्रैल में 8 माह के उच्चस्तर पर पहुंचने और थोक महंगाई के 13 महीनों से दहाई अंकों में बने रहने से आरबीआई के पास ब्याज दर बढ़ाने के सीमित विकल्प बचे हैं।