रिसर्च फर्म नोमुरा की रिपोर्ट में कहा गया कि भारत की हेडलाइन मुद्रास्फीति में आधारभूत मुद्रास्फीति का हिस्सा 88 फीसदी है, जो कि एशिया में सबसे उच्च स्तरों में एक है। इसे काबू में करने के लिए सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है।देश में महंगाई पहले से ही निर्धारित अनुमान से ऊपर है और आम जनता इससे बेहाल है, लेकिन यह बोझ हाल-फिलहाल कम होता नजर नहीं आ रहा है। रिसर्च फर्म नोमुरा की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में मुद्रास्फीति अपने उच्च स्तर पर है और आने वाले समय में यह और बढ़ने वाली है।सबसे उच्च महंगाई की मार झेल रहीं अर्थवयवस्थाओं में चार देशों के नाम सबसे ऊपर हैं। इनमें भारत भी शामिल है। इसके अलावा, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया और ताइवान में भी मुद्रास्फीति उच्च स्तर पर बनी हुई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस लिस्ट में शामिल देशों को महंगाई काबू में करने के लिए सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है। इन अर्थव्यवस्थाओं में आधारभूत मुद्रास्फीति तय दायरे के ऊपर है। पिछले कुछ महीनों से भरत में हेडलाइन खुदरा मुद्रास्फीति लगातार बढ़ रही है और इसे नियंत्रित करने के लिए ही भारती रिजर्व बैंक आरबीअआई ने हाल ही में आनन-फानन में एमपीसी की बैठक कर नीतिगत दरों में 40 बेसिस प्वाइंट का इजाफा कर दिया। इस बढ़ोतरी के बाद 20 मई 2020 से चार फीसदी पर स्थित रेपो दर बढ़कर 4.40 फीसदी हो गई। रिपोर्ट में विशेषज्ञों का अनुमान है कि आने वाले दिनों में देश में महंगाई अभी और भी बढ़ सकती है।