इस बार माघ मास की गुप्त नवरात्रि 2 फरवरी से शुरू हो चुकी है जो 10 फरवरी तक रहेगी। श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभागाध्यक्ष डॉ. मृत्युञ्जय तिवारी के अनुसार यह गुप्त नवरात्रि अत्यधिक विशेष हैं क्योंकि इनमें रवियोग और सर्वार्थसिद्धि योग बन रहे हैं।

गुप्त नवरात्रि (Gupt Navratri 2022) में विशेष पूजा से कई प्रकार के दुखों से मुक्ति पाई जा सकती है। अघोर तांत्रिक लोग गुप्त नवरात्रि में महाविद्याओं को सिद्ध करने के लिए उपासना करते हैं।

गुप्त नवरात्रि में होती है इन 10 महाविद्याओं की पूजा
वैसे तो गुप्त नवरात्रि में भी 9 माताओं की पूजा और आराधना होती है लेकिन यदि कोई अघोर साधान करना चाहे तो दस महाविद्या में से किसी एक की साधना करता है जो गुप्त नवरात्रि में सफल होती है। गुप्त नवरात्रि विशेषकर तांत्रिक क्रियाएं, शक्ति साधना, महाकाल आदि से जुड़े लोगों के लिए विशेष महत्त्व रखती है। इस दौरान देवी भगवती के साधक बेहद कड़े नियम के साथ व्रत और साधना करते हैं। साधक लंबी साधना कर दुर्लभ शक्तियों की प्राप्ति करने का प्रयास करते हैं। भगवान विष्णु शयन काल की अवधि के बीच होते हैं तब देव शक्तियां कमजोर होने लगती हैं। उस समय पृथ्वी पर रुद्र, वरुण, यम आदि का प्रकोप बढ़ने लगता है इन विपत्तियों से बचाव के लिए गुप्त नवरात्रि में 10 महाविद्याओं की पूजा की जाती है।

आगे जानिए 10 महाविद्याओं से जुड़ी खास बातें और मंत्र...

 
- दस महाविद्या में काली प्रथम रूप है। माता का स्वरूप हाथ में त्रिशूल और तलवार
- पूजा के लिए विशेष दिन शुक्रवार और अमावस्या है। कालिका पुराण में इनका विस्तार से वर्णन किया गया है
- काली को ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं परमेश्वरि कालिके स्वाहा के प्रसन्न किया जा सकता है।
 
- महाभारत के युद्ध में कृष्ण और अर्जुन ने कौरवों पर विजय हासिल करने के लिए माता बगलामुखी की पूजा अर्चना की थी।
- भारत में मां बगलामुखी के तीन प्रमुख ऐतिहासिक मंदिर माने गए हैं।
- इनका प्राचीन स्थान दतिया के निकट है।
 
- इन्हें ललिता, त्रिपुर सुंदरी और राज राजेश्वरी भी कहते हैं। माता की चार भुजा और 3 नेत्र हैं।
- गुप्त नवरात्रि में इनकी पूजा करने से कई तरह की गुप्त सिद्धियां पाई जा सकती हैं।
 
- सर्वप्रथम महर्षि वशिष्ठ ने तारा की आराधना की थी। यह तांत्रिकों की मुख्य देवी हैं।
- तारा मां को जगृति करने के लिए ऊँ ह्नीं स्त्रीं हुम फट' मंत्र का जाप कर सकते हैं।
- परेशनियों को दूर करने के कारण इन्हें तारने वाली माता तारा कहा जाता है।
 
- त्रिपुर भैरवी की उपासना से व्यक्ति सभी बंधनों से मुक्त हो जाता है।
- इनकी पूजा से व्यापार में लगातार बढ़ोतरी और धन सम्पदा की प्राप्ति होती है।
- इन्हें सिर्फ भैरवी के नाम से भी पूजा जाता है।

 
- मां कमला की साधना समृद्धि, धन, नारी, पुत्र की प्राप्ति के लिए की जाती है।
- इनकी साधना से व्यक्ति धनवान और विद्यावान हो जाता है।
- दुनिया के सभी सुख देवी कमला की पूजा से प्राप्त किए जा सकते हैं।

 
- इन देवी की पूजा से गृहस्थ जीवन में सुख की प्राप्ति होती है।
- मतंग भगवान शिव का भी एक नाम है। इनकी पूजा से वशीकरण जैसे सिद्धि भी पाई जा सकती है।
- तंत्र क्रियाओं में इनकी पूजा भी प्रमुख रूप से की जाती है।

 
- धूमावती माता को अभाव और संकट को दूर करने वाली माता कहते है।
- इनका कोई भी स्वामी नहीं है। ऋग्वेद में इन्हें 'सुतरा' कहा गया है।
- इनका स्वरूप विधवा स्त्री के समान है। ये भी तंत्र-मंत्र की देवी हैं।

 
- पुत्र प्राप्ति के लिए माता भुवनेश्वरी की आराधना फलदायी मानी जाती है।
- यह शताक्षी और शाकम्भरी नाम से भी जानी जाती है।
- इनकी पूजा से जीवन में तेज और मान-सम्मान मिलता है।
 
- इनका स्वरूप बहुत ही भयानक है। इनके उग्र रूप की पूजा ही की जाती है।
- देवी छिन्नमस्ता का मंदिर झारखंड की राजधानी रांची में स्थिति है।
- कामाख्या के बाद यह दूसरा सबसे लोकप्रिय शक्तिपीठ है।