इंदौर ।   दस साल पुराने मारपीट के एक मामले में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह गुरुवार को इंदौर जिला न्यायालय में उपस्थित होंगे। 26 मार्च 2022 को जिला न्यायालय ने इस मामले में सिंह सहित छह लोगों को एक-एक साल कारावास की सजा सुनाई थी।कोर्ट ने आरोपितों पर पांच-पांच हजार रुपये जुर्माना भी लगाया था। इस मामले में दिग्विजय सिंह को 26 मार्च को ही जिला न्यायालय से जमानत मिल गई थी। उन्होंने इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती देते हुए अपील दायर की है जो लंबित है। हाई कोर्ट ने सिंह को नियमित जमानत का लाभ देते हुए सजा के क्रियान्वयन पर अपील के अंतिम निराकरण तक रोक लगा दी है। कोर्ट ने सिंह को 50 हजार रुपये की जमानत और इतनी ही रकम का मुचलका भरने को कहा था। सिंह के वकील विवेकसिंह ने बताया कि गुरुवार को दिग्विजयसिंह जिला न्यायालय में जमानत प्रस्तुत करेंगे।

यह है पूरा मामला

घटना 17 जुलाई 2011 की है। पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह एक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए उज्जैन आए थे। भाजयुमो के कार्यकर्ताओं ने दिग्विजय सिंह और अन्य कांग्रेसी नेताओं को काले झंडे़ दिखाए थे। इससे नाराज होकर कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने भाजयुमो कार्यकर्ताओं के साथ मारपीट कर दी। घटना में भाजयुमो के अमय आप्टे गंभीर रूप से घायल हो गए थे। इस मामले में जीवाजी गंज पुलिस थाने में कांग्रेस नेताओं पर जानलेवा हमले की कोशिश का प्रकरण दर्ज हुआ था। एफआइआर में दिग्विजयसिंह का नाम नहीं था लेकिन प्रकरण की सुनवाई के दौरान अभियोजन ने एक आवेदन दिया था कि मामले में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की भी संलिप्तता है। बाद में उनका नाम एफआइआर में जोड़ लिया गया। दिग्विजयसिंह का कहना है कि घटना के वक्त वे मौके पर मौजूद ही नहीं थे। राजनीतिक द्वेषता के चलते उनका नाम एफआइआर में जुड़वाया गया था। उन्होंने कोर्ट में तर्क रखा था कि उन्हें 2011 में जेड सुरक्षा मिली थी। ऐसे में संभव नहीं है कि वे सुरक्षा घेरा तोड़कर जाए और किसी के साथ मारपीट करें।

केस में नौ नामजद आरोपित थे

मामले में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, पूर्व सांसद प्रेमचंद गुड्डू, तराना से विधायक महेश परमार, दिलीप चौधरी, जय सिंह दरबार, असलम लाला, अनंत नारायण मीणा, मुकेश भाटी और हेमंत चौहान को आरोपित बनाया गया था।

छह को सजा, तीन बरी

जिला न्यायालय ने मामले में मुकेश भाटी, हेमंत चौहान और तराना विधायक महेश परमार को बरी कर दिया था। वहीं पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, पूर्व सांसद प्रेमचंद गुड्डू, दिलीप चौधरी, जयसिंह दरबार, असलम लाला, अनंत नारायण मीणा को एक-एक साल की सजा और पांच-पांच हजार रूपये अर्थदंड की सजा से दंडित किया है।