हाथ की कलाई पर, कमर, गले, यज्ञ वेदी पर, कलश पर, पेड़ के तने पर, पशुओं के गले में, नई वस्तुओं पर और किसी देवी-देवता के स्थान आदि जगहों पर मौली, कलावा, रक्षासूत्र, पवित्र नाड़ा या कच्चा सूत बांधे जाने की परंपरा है।
पेड़ या पौधों पर कलावा या कच्चा सूत बांधकर मन्नत मांगी जाती है। आओ जानते हैं इसका रहस्य।
पेड़ पर कलावा क्यों बांधते हैं : किसी भी प्रकार की मन्नत के लिए किसी देवी या देवता के स्थान पर या पवित्र पेड़ पर कलावा बांधा जाता है। जब मन्नत पूरी हो जाती है तो इसे खोल दिया जाता है। मान्यता है कि बरगद, पीपल, तुलसी, कदंब आदि के पेड़ पर जो भी धागा बांध मन्नत मांगा है उसकी मन्नत जरूर पूरी होती है। मन्नत मांगने वाले धागा बांधते हैं और जिनकी मन्नत पूरी हो जाती है वे धागा खोलने के लिए यहां आते हैं।

कैसे होती है मनोकामना पूर्ण : वैज्ञानिकों अनुसार मन्नत पूरी होने का एक विज्ञान भी है। दरअसल, आकर्षण के नियम अनुसार हम जीस चीज को चाहते हैं उसे अपनी ओर आकर्षित करते हैं। यदि आपकी चाहत कमजोर या उसके प्रति आपमें विश्वास नहीं है तो वह कभी नहीं मिलेगी। आपकी सोच पर भी यह निर्भर तरका है।

 
दरअसल, वृक्ष हमारी धरती पर जीवन का प्रथम प्रारंभ हैं। जीवों ने या कहें आत्मा में सर्वप्रथम प्राणरूप में खुद को वृक्ष के रूप में ही अभिव्यक्त किया था। जब धरती पर स्वतंत्र जीव नहीं थे, तब वृक्ष ही जीव थे। यही जीवन का विस्तार करने वाले थे, जो आज भी हैं। वैज्ञानिक शोधों से यह बात सिद्ध हो चुकी है कि धरती के वृक्ष ऊंचे आसमान में स्‍थित बादलों को आकर्षित करते हैं। जिस क्षेत्र में जितने ज्यादा वृक्ष होंगे, वहां वर्षा उतनी ज्यादा होगी।

यदि आप किसी प्राचीन या ऊर्जा से भरपूर वृक्षों के झुंड के पास खड़े होकर कोई मन्नत मांगते हो तो यहां आकर्षण का नियम तेजी से काम करने लगता है। वृक्ष आपके संदेश को ब्रह्मांड तक फैलाने की क्षमता रखते हैं और एक दिन ऐसा होता है जबकि ब्रह्मांड में गया सपना हकीकत बनकर लौटता हैं।