सहारनपुर । किसान गेहूं व सरसों की फसल की अप्रैल माह में कटाई शुरू कर देते हैं। फिलहाल किसान की यह मुख्य फसल पूरी तरह से तैयार है, लेकिन बेमौसम बरसात के कारण इन फसलों पर प्रतिकूल असर पड़ा है, क्योंकि इन दिनों होने वाली बरसात के कारण जहां फसलें गिर जाती हैं, वहीं ओलावृष्टि के कारण भी फसलों को काफी हानि पहुंचती है।
पिछले 2 दिनों से जनपद में खराब मौसम के कारण हुई बरसात से किसानों के गेहूं की फसल व सरसों में काफी नुकसान हुआ है। बेमौसम बरसात के कारण गेहूं व सरसों की फसल का उत्पादन घट गया है, जिससे किसानो के चेहरे मायूस देखे जा सकते हैं। गेहूं व सरसों किसान की मुख्य फसल है और यह उसके पूरे परिवार के लिए पूरे साल गुजर-बसर के लिए होती है। एक किसान ने मीडिया को बताया कि उसने करीब 7 बीघा खेत में गेहूं की फसल बोई थी। उसने मजदूरी करके और कुछ बाजार से उधार लेकर अपने खेत में गेहूं की फसल तैयार की थी, लेकिन बेमौसम हुई बरसात व आंधी के कारण किसान की 7 बीघा फसल पूरी तरह से नष्ट हो गयी। भारी आवाज व नम आंखों से किसान ने बताया कि मैंने अपने खेत में मेहनत-मजदूरी करके इस फसल को तैयार किया था तथा मुझे उम्मीद थी कि इस बार मुझे गेहूं की फसल से अच्छी आमदनी हो जाएगी, लेकिन प्रकृति की मार ने मेरी फसल को तो बर्बाद कर ही दिया, साथ ही मेरे सपनों पर भी पानी फेर दिया। भावुक हुए किसान ने कहा कि यदि अब मुझे खेत में लगी लागत भी मिलने की उम्मीद नहीं है। उन्होंने प्रशासन से फसल में हुए नुकसान का मुआवजा दिए जाने की अपील की है।

80 प्रतिशत गेहूं की फसल चौपट
किसानों ने बताया कि मौसम हुई बरसात से आंधी के कारण किसान की 80 प्रतिशत गेहूं की फसल पूरी तरह से जमीन पर बिछ चुकी है। उन्होंने बताया कि इस आपदा के बाद गेहूं की फसल का उत्पादन भी बहुत कम हो जाएगा। किसान ने बताया कि जनपद में इस बार गेहूं की फसल की बंपर पैदावार की संभावना जताई जा रही थी, लेकिन इस खराब मौसम के कारण हुई हानि से जहां गेहूं वह सरसों की गुणवत्ता पर असर पड़ेगा, वहीं निश्चित रूप से पैदावार भी कम हो जाएगी।

किसानों का खर्च 40 प्रतिशत बढ़ा, तो इतनी ही घटी आमदनी
बारिश में हवा के कारण फसल गिर जाने से किसान की आमदनी अब घटकर 40 प्रतिशत रह जाएगी। गेहूं फसल की कटाई पर अब मजदूरी बढ़ जाएगी। दूसरा खेत में फसल की पैदावार कम हो जाएगी और तीसरी बात फसल की गुणवत्ता खराब होने से गेहूं का उचित मूल्य बाजार में किसानों को नहीं मिल पाएगा। उन्होंने बताया कि इस तरह से किसान की फसल पर अब 40 प्रतिशत तक खर्च बढ़ गया है। नुकसान की भरपाई करना किसान के लिए असंभव है।