मुंबई । महाराष्ट्र में सत्ता गंवा चुके शिवसेना मुखिया उद्धव ठाकरे अब अपनी ही पार्टी के अस्तितव बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं। एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र में एमवीए की सरकार के मंत्री थे। बीते महीने पार्टी में अचानक बगावत हुई। एमवीए गठबंधन बिखर गया। शिवसेना के विधायक बागी होकर एकनाथ शिंदे के खेमे में चले गए। उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। एकनाथ शिंदे ने बीजेपी के साथ मिलकर महाराष्ट्र में सरकार बना ली और अब एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री हैं। शिवसेना के विधायकों के बागी होने से लेकर महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे के सरकार बनाने तक कई बार उद्धव ठाकरे आक्रामक हुए तो कई बार भावुक नजर आए। अब उन्होंने शिवसेना के मुखपत्र के संपादक संजय राउत को एक इंटरव्यू दिया है। इस इंटरव्यू के दौरान उनका दर्द छलका और उन्होंने एकनाथ शिंदे को खूब खरी-खरी सुनाई।
उद्धव ठाकरे ने कहा, 'मेरा ऑपरेशन हुआ था। गर्दन का ऑपरेशन काफी नाज़ुक और जोखिम भरा होता है। में अपनी तबीयत से जुझ रहा था। मैं अपनी गर्दन से नीचे के हिस्सों को भी हिला नहीं सकता था। पेट भी हिला नहीं पा रहा था। ब्लड क्लॉट भी हुआ था। गोल्डन ऑवर में मेरा ऑपरेशन हुआ इसलिए आपके सामने बैठा हूं।' शिवसेना प्रमुख ने कहा, 'इस दौर में कुछ लोग मेरे जल्दी स्वस्थ होने की कामना कर रहे थे, तो कुछ लोग ऐसे भी थे जो प्रार्थना कर रहे थे कि मैं जिंदगी भर ऐसा ही रहूं। यही लोग आज पार्टी बर्बाद करने निकले हैं। मेरे बारे में इन लोगों ने अफवाह फैलाई कि अब यह खड़ा नहीं होगा तो तुम्हारा क्या होगा। जिस समय पार्टी संभालने का वक्त था, उस वक्त इनकी हलचल तेज थी। आपको दो नंबर की पोस्ट दी, आप पर अंधा विश्वास किया ऐसे में विश्वासघात किया गया। जब मेरी हलचल बंद थी तो इनकी तेज थी।'
उद्धव ने कहा, 'चिंता मुझे अपनी नहीं, नही शिवसेना की है। लेकिन मराठी मानुस और हिंदुत्व की है। मराठी मानुस की एकजुटता तोड़ने की, हिन्दुवत में फूट करने की कोशिश हो रही है। जो मेहनत बाला साहेब ने जिंदगी भर की, मराठियों को एकजुट करने की, हिंदुओ को एकजुट करने की उसे अपने खुद के कुछ कपटी लोग तोड़ने की मोड़ने की कोशिश कर रहे हैं, उसकी चिंता है। मैं कहता हूं की सड़े गले पत्ते गिर रहे हैं। जिस पेड़ ने उसे रस दिया, सब दिया उससे सड़ के अलग हो रहे हैं। लेकिन इसके बाद नए पत्तों का कुम फूटेगा।
उद्धव ने कहा, 'जो आज हमने हिंदुत्व छोड़ दिया ऐसा उडी मार रहे हैं, उनसे पूछना है की साल 2014 में जब बीजेपी ने युति तोड़ी थी , तो हमने हिंदुत्व छोड़ा था क्या। आज भी नहीं छोड़ा है। 2014 में शिवसेना अकेली चुनाव लड़ी थी और 63 सीटें जीतकर आई थी। थोड़े दिनों के लिए विरोध में भी बैठी थी, तभी भी विरोधी पद के नेता का पोस्ट दिया था। बीजेपी ने अभी जो किया , उस वक़्त करती तो सम्मान से साथ होती। भारत भ्रमण की ज़रूरत नहीं पड़ती। मैंनें कहीं पढ़ा की इसके लिए हजारों करोड़ खर्च हुए, विमान के, होटल के और बाकी चीज़ो के, वह सब फुकट में होता। लेकिन इन्हे शिवसेना को खत्म करना है। शिवसेना प्रमुख हिंदुत्व के लिए राजकरण करते है और यह लोग राजकरण के लिए हिंदुत्व करते है, यह फर्क है इनमें और हम में।'
जिस शिवसेना ने बाबरी गिराने की ज़िम्मेदारी ली। उसी शिवसेना को तुम कह रहे हो की हिंदुत्व छोड़ दिया। लेकिन जब महबूबा मुफ़्ती के साथ आप गए तब आपने क्या किया। तब तो आपने अपनी शर्म छोड़ दी। क्या महबूबा मुफ्ती वन्दे मातरम बोलती है, भारत माता की जय बोलती है। सरकार बनी थी तो यही मुफ़्ती थे जिन्होंने पाकिस्तान का धन्यवाद किया था कश्मीर में चुनाव शांति से कराने के लिए। अभी बिहार में यह लोग नितीश के साथ है, क्या नितीश हिंदूवादी है। नितीश ने एक बार तो संघ मुक्त भारत का नारा दिया था, हमने कभी ऐसा नारा नहीं दिया, हम तो राम मंदिर आंदोलन में भी शामिल रहे...'
सवाल उठाते हुए उद्धव ने पूछा, 'मुझे एक वाक्य ऐसा बताइए, या ऐसी घटना बताएं या मेरे मुख्यमंत्री होते हुए ऐसा निर्णय जिससे हिंदुत्व खतरे में पड़ा हो। हम अयोध्या में महाराष्ट्र भवन बना रहे हैं। सीएम बनने से पहले में अयोध्या गया रामा लाला के दर्शन करने, सीएम रहते हुए भी गया। नवी मुंबई में तिरुपति मंदिर को जगह दी, पुराने प्राचीन मंदिर की मरम्मत कर रहे है। तो हिंदुत्व कैसे छोड़ा?'