दूरसंचार कंपनियों ने आगामी बजट में करीब 35,000 करोड़ रुपये के इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) के रिफंड, लाइसेंस और स्पेक्ट्रम उपयोग पर लागू शुल्कों में कटौती करने और जीएसटी हटाने की मांग सरकार से की है। दूरसंचार उद्योग के संगठन सेल्युलर ऑपरेटर एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआई) ने सरकार को बजट के बारे में सौंपी गई अपनी डिमांड में कहा है कि सरकार को ग्रामीण क्षेत्रों में दूरसंचार सेवाओं के प्रसार के लिए गठित यूएसओएफ को निलंबित कर देना चाहिए। 
इसके अलावा दूरसंचार कंपनियों ने उपयोग में नहीं लाए गए 35,000 करोड़ रुपये के आईटीसी को रिफंड करने की मांग करते हुए कहा है कि निकट भविष्य में भी इस फंड का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। सीओएआई के महानिदेशक एसपी कोचर ने लाइसेंस शुल्क और स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क में कटौती किए जाने की मांग करते हुए कहा है कि कनेक्टिविटी की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए कंपनियों को अधिक निवेश करने की जरूरत है और शुल्क बोझ को कम करने से उन्हें मदद मिलेगी। दूरसंचार सेवा प्रदाताओें ने सरकार से लाइसेंस शुल्क को तीन फीसदी से घटाकर एक फीसदी करने और स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क में तीन फीसदी की कटौती करने की मांग की है।सरकार को आगामी आम बजट में कॉपर कॉन्संट्रेट पर सीमा शुल्क हटाने का सुझाव दिया गया है, ताकि घरेलू कंपनियों द्वारा मूल्य वर्धित उत्पादों के विनिर्माण को बढ़ावा मिल सके। उद्योग मंडल पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (पीएचडीसीसीआई) ने कहा कि ऐसा नहीं करने पर मुक्त व्यापार समझौतों के तहत इन उत्पादों का आयात बढ़ेगा। कॉपर कॉन्संट्रेट पर सीमा शुल्क 2.5 फीसदी है।
उद्योग मंडल ने परिष्कृत तांबे के उत्पादों, तांबे के कैथोड पर मूल सीमा शुल्क को पांच प्रतिशत से बढ़ाकर 7.5 प्रतिशत करने की वकालत भी की। उद्योग मंडल ने बजट पूर्व सिफारिशों में कहा कि भारत को धातु के कबाड़ का भंडार बनने से बचाने के लिए स्क्रैप पुनर्चक्रण के सख्त मानदंड जरूरी हैं, ताकि पर्यावरण के अनुकूल प्रक्रिया का पालन किया जा सके। इसके अलावा उद्योग मंडल ने आसियान, दक्षिण कोरिया और चीन से कागज तथा पेपरबोर्ड के आयात पर 10 प्रतिशत मानक सीमा शुल्क लगाने का सुझाव दिया।