ओंकारेश्वर बांध से पैदा होगी सौर ऊर्जा


भोपाल। पानी पर सोलर ऊर्जा पैनल लगाकर देश में सर्वाधिक बिजली उत्पादन करने के लिए गुरूवार को भोपाल में एमओयू हुआ। ओंकारेश्वर के पास नर्मदा के बांध में बैकवाटर वोटिंग और शोध परियोजना के कार्य को गति मिलेगी। यहां पर 278 मेगावाट योजना के लिए प्रबंध किया जा रहा है।  नर्मदा नदी का मप्र के विकास में अहम योगदान है। इस योगदान में गुरुवार से और बढ़ोतरी हो गई है, जब ओंकारेश्वर के पास नर्मदा के बांध के बैकवाटर में फ्लोटिंग सौर परियोजना के कार्य में गति आएगी। 600 मेगावाट क्षमता की सौर ऊर्जा परियोजना के तहत पहले चरण की 278 मेगावाट की योजना के अनुंबध हुए। इस परियोजना के तहत बांध के बैकवाटर पर हजारों सोलर पैनल्स लगाई जाएंगी। यहां से प्रतिदिन बिजली तैयार होगी। यह बिजली मप्र के कई क्षेत्रों को रोशनी प्रदान करेगी।
मप्र के प्रमुख सचिव ऊर्जा  संजय दुबे ने बताया कि विश्व में अपनी तरह की सबसे अनूठी और क्षमता, जलीय क्षेत्र के हिसाब से विशालकाय योजना पर मुख्यमंत्री  शिवराज सिंह चौहान के निर्देश पर कार्य हाथ में लिया गया है। इसके कई स्थानों पर अध्ययन किया गया, फिर योजना तैयार की गई, अब इस पर कार्य प्रारंभ होने का समय आ गया है। दुबे ने बताया कि यह पूरी योजना तीन हजार करोड़ की है। इसमें पावर ग्रिड कार्पोरेशन, वल्र्ड बैंक और इंटरनेशनल फायनेंस कार्पोरेशन वित्तीय मदद कर रहे हंै। योजना के तहत ओंकारेश्वर बांध के दूसरी ओर नर्मदा नदी के बैकवाटर पर लगभग 2 हजार हेक्टेयर में सोलर पैनल्स लगाई जाएंगी। ये पैनल्स इस तरह स्थापित की जाएंगी कि वर्षाऋतु में पानी का स्तर काफी ऊंचा होने पर भी भरपूर बिजली तैयार करेगी, वहीं ग्रीष्मकाल में जलस्तर नीचे जाने पर भी सूरज की किरणों से बिजली का जनरेशन सतत होता रहेगा।


इसलिए महत्वपूर्ण
जमीन की कमी के विकल्प के तौर पर ऊर्जा क्षेत्र के कार्यों के लिए पानी की तलाश की गई। ओंकारेश्वर बांध के बैकवाटर पर दो हजार  हेक्टेयर क्षेत्र में नर्मदा नदी के पानी पर फ्लोटिंग सोलर पैनल्स परियोजना के तहत सभी चरणों में लगाए जाएंगे। यदि इतनी जमीन बाजार से खरीदी जाती तो अरबों रुपए की तो मात्र जमीन ही मिल पाती या मुआवजा चुकाना होता है।


साल के आखिर तक शुरू होगा उत्पादन
पानी पर तैरती हुई सौर ऊर्जा पैनल से बिजली उत्पादन शुरू करने में कुछ समय लगेगा। दरअसल बांध के पीछे की तरफ जहां सर्वाधिक पानी होता है, वहां पर छोटी-छोटी सौर ऊर्जा की पैनल लगाई जाएंगी। इसके साथ ही बिजली संग्रहित करने के लिए उपकरण भी स्थापित करना है। इसमें 3 से 4 महीने का समय लगेगा। यानी इस साल के आखिर तक यहां पर सौर ऊर्जा बिजली का उत्पादन शुरू हो जाएगा

इन राज्यों में पानी पर तैरती सोलर बिजली
-तेलंगाना 100 मेगावाट
-केरल 100 मेगावाट
-आंध्र प्रदेश 100 मेगावाट
-मध्य प्रदेश 278 मेगावाट