नवारात्रि का त्योहार प्रत्येक साल बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है. इस त्योहार पर लोग वैदिक परंपरा से पूजा करते हैं हजारों लोग माता दुर्गा के दर्शनों के लिए जाते हैं. इस साल चैत्र नवरात्रे 2 अप्रैल से शुरू हो रहे हैं. नवरात्रि पर 1005 कुंभाभिषेक 2100 से अधिक चंडी होम आयोजित किए जाते हैं. नवरात्रि पर यज्ञ का भी आयोजन किया जाता है. इस समय में किया गया हवन, पूजा यज्ञ बहुत अधिक लाभ पहुंचाता है. जहां एक तरफ नवरात्रों को धार्मिक दृष्टि से अत्यंत फलदायक माना जाता है वहीं दूसरी तरफ नवरात्रों का वैज्ञानिक आधार भी है. नवरात्रों पर माता रानी सिर्फ आशीष देने ही नहीं बल्कि स्वास्थ्य देने भी आती हैं. चैत्र नवरात्रि के पावन पर्व पर आज हम आपको इस बात की जानकारी देने जा रहे हैं कि आखिर साइंस भी नवरात्र की शक्ति के आगे क्यों झुकता है.

नवरात्र शब्द से 'नव अहोरात्रों (विशेष रात्रियां) का बोध' होता है. इस समय शक्ति के नव रूपों की उपासना की जाती है क्योंकि 'रात्रि' शब्द सिद्धि का प्रतीक माना जाता है. भारत के प्राचीन ऋषि-मुनियों ने रात्रि को दिन की अपेक्षा अधिक महत्व दिया है. नवरात्रि के पीछे का विज्ञान भी इसी आधार से जुड़ा हुआ है.

नवरात्र के पीछे का वैज्ञानिक आधार यह है कि पृथ्वी द्वारा सूर्य की परिक्रमा काल में एक साल की चार संधियां (treaties) हैं जिनमें से मार्च व सितंबर माह में पड़ने वाली गोल संधियों में साल के दो मुख्य नवरात्र पड़ते हैं. इस समय रोगाणु आक्रमण (Germs, Infections) की सर्वाधिक संभावना होती है. ऋतु संधियों (season treaties) में अक्सर शारीरिक बीमारियां बढ़ती हैं. अत: उस समय स्वस्थ रहने के लिए तथा शरीर को शुद्ध रखने के लिए की जाने वाली प्रक्रिया का नाम 'नवरात्र' है.

नवरात्रि का समय वह समय होता है जब ऋतु बदलती है. शास्त्रों के अनुसार इस समय असुरी शक्तियों को नष्ट करने के लिए हवन पूजन किया जाता है. नवरात्रि पर हवन पूजन करने से स्वास्थय भी ठीक रहता है. यही कारण हैं कि साल में आने वाले सभी नवरात्र ऋतुओं के संधिकाल में होते हैं. यही वह समय होता है जब मौसम बदलता है. जिससे शरीर मानसिकता में कमीं आती है. इसलिए शरीर दिमाग को स्वस्थ रखने के लिए व्रत पूजा की जाती है.

नवरात्रि को स्वास्थय के दृष्टिकोण से अत्याधिक महत्व दिया जाता है. इस समय व्रत करने से न केवल मानसिक शक्ति प्राप्त होती है. बल्कि शरीर विचारों की भी शुद्धि होती है. जिस प्रकार से हम नहाकर अपने शरीर की सफाई करते हैं. उसी प्रकार नवरात्रि के इस पावन अवसर पर शरीर के साथ - साथ विचारों की शुद्धि की जाती है. जो अत्यंत ही महत्वपूर्ण है. जिस समय मौसम बदलता है उस समय शरीर को रोगों से लड़ने के लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाना पड़ता है. नवरात्रि पर व्रत करने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है. इसलिए नवरात्रि को विशेष माना जाता है.