ऊर्दू के मशहूर साहित्यकार गोपी चंद नारंग का निधन हो गया है। बुधवार को अमेरिका के उत्तरी कैरोलिना के चार्लोट में उन्होंने अंतिम सांस ली।यह जानकारी उनके बेटे ने दी। 91 वर्षीय नारंग के परिवार में उनकी पत्नी मनोरमा नारंग और उनके बेटे अरुण नारंग और तरुण नारंग और पोते-पोतियां हैं। नारंग के निधन से साहित्य जगत में शोक छा गया। उनका जन्म 1930 में पाकिस्तान और अफगानिस्तान की सीमा पर स्थित बलूचिस्तान के छोटे से शहर दुक्की में हुआ था। 

भारत सरकार ने उन्हें पद्मभूषण तो पाकिस्तान सरकार ने 'सितार-ए-इम्तियाज' से नवाजा था।, प्रोफेसर गोपी चंद नारंग ने 57 किताबों को रचना की है। 1958 में दिल्ली विश्वविद्यालय से उर्दू साहित्य में डाक्टरेट की उपाधि प्राप्त करने के बाद प्रोफेसर नारंग ने दिल्ली के सेंट स्टीफेंस कालेज में एक अकादमिक पद ग्रहण किया। प्रो. नारंग हिंदी, उर्दू, अंग्रेजी और पश्तो सहित छह भाषाओं के महारथी थे। उन्होंने उर्दू के अलावा हिंदी और अंग्रेजी में भी किताबें लिखीं। प्रोफेसर नारंग ने हाल के वर्षों में मीर तकी मीर, गालिब और उर्दू गजल पर अपने प्रमुख कार्यों के अंग्रेजी अनुवाद प्रकाशित किए।