भोपाल । देश में अब पानी व कोयले की बजाय हवा और धूप से ही अधिकतम बिजली बनाने की तैयारी है। केंद्र सरकार के निर्देश पर देशभर के विशेषज्ञ इसी महीने सप्ताहभर मंथन करेंगे कि किस तरह आगामी दशक में अधिकतम बिजली उत्पादन प्राकृतिक स्रोत से किया जा सके। इससे जहां धन की बचत होगी वहीं पर्यावरण भी सुधरेगा। देश में फिलहाल परंपरागत तरीकों थर्मल पॉवर प्लांट (कोयला) हाइड्रोलिक पॉवर प्लांट (पानी) से 60 प्रतिशत  से अधिक बिजली का उत्पादन हो रहा है। बीते कुछ सालों से पवन चक्की और सौर ऊर्जा से 25 प्रतिशत बिजली बनने लगी है। आगामी दशक में इसे 90 प्रतिशत  तक पहुंचाने का लक्ष्य है। केंद्रीय ऊर्जा सचिव ने सभी राज्यों के चीफ सेक्रेटरी को देश के 773 जिलों में 25 से 30 जुलाई तक सोलर एवं विंड प्लांट से बिजली बनाने को बढ़ावा देने के लिए दो-दो आयोजन करने के निर्देश दिए हैं। 100 जिलों में बड़े कार्यक्रम होंगे, जिनमें इंदौर व भोपाल भी शामिल हैं। यहां हवा और धूप से अधिक से अधिक बिजली बनाने की रूपरेखा तैयार की जाएगी। वर्ष 2030 तक सोलर एवं विंड पॉवर से 450 गीगा वॉट बिजली पैदा करने की योजना है।
बिजली योजनाओं को प्राकृतिक ऊर्जा आधारित करेंगे
उज्ज्वल भारत मिशन के तहत होने वाले कार्यक्रमों में कलेक्टर, कमिश्नर के साथ ही बिजली वितरण कंपनी, पॉवर ग्रिड कार्पोरेशन, थर्मल पॉवर कार्पोरेशन, हाइड्रो इलेक्ट्रिक पॉवर कार्पोरेशन, पॉवर फाइनेंस कार्पोरेशन, रूलर इलेक्ट्रिकल कार्पोरेशन शामिल होंगे। कार्यक्रम में यह तय किया जाएगा कि घर-घर बिजली की सौभाग्य योजना, दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना, शहरी बिजली विस्तार योजना को कैसे धीरे-धीरे हवा एवं धूप से बनने वाली बिजली पर शिफ्ट किया जाए।
52 जिलों में होंगे कार्यक्रम
प्रदेश के प्रमुख सचिव (ऊर्जा) संजय दुबे ने सभी 52 जिला कलेक्टर को पत्र लिख कर उज्जवल भारत, उज्जवल भविष्य योजना के तहत कार्यक्रम करवाने के आदेश दिए हैं।