भोपाल ।    जिस रफ्तार से शहर की सीमाएं बढ़ रही है, उसी प्रकार गगनचुंबी इमारतों की संख्या बढ़ती जा रही है। लेकिन इनमें भवन मालिकों द्वारा सुरक्षा के मानकों की अनदेखी की जा रही है। सबसे खतरनाक स्थित पुराने शहर में चौक बाजार, सिंधी कालोनी, इब्राहिमपुरा और तलैया समेत अन्य क्षेत्रों में है। यहां पांच से छह फीट की तंग गलियों में बहुमंजिला इमारतें खड़ी कर दी गई हैं। यहां बीते एक महीने में एक दर्जन से अधिक आग की घटनाएं हो चुकी हैं। ऐसे में इन तंग गलियों में दमकल भी नहीं पहुंच पाती है। यदि बड़ी आग लग जाए तो जान और माल को बचाना मुश्किल हो जाएगा। लेकिन प्रदेश में फायर एक्ट नहीं होने से लापरवाही बरतने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती है। जिससे भवन मालिकों के हौसले बुलंद हैं। हालांकि नेशनल बिल्डिंग कोड 2016 के भाग चार में बहुमंजिला इमारतों के निर्माण को लेकर प्रारुप तय किया गया है। लेकिन भवन मालिकों द्वारा इनका पालन नहीं किया जाता है। वहीं बीते दो वर्ष पहले नगरीय प्रशासन मंत्री ने भूमि विकास अधिनियम के नियमानुसार 15 मीटर से अधिक ऊंचाई वाली इमारतों के मालिकों से हर वर्ष 30 जून तक फायर आडिट कराकर नगरीय निकाय में आयुक्त और नगर पालिका के सीइओ से इसका सत्यापन कराने के निर्देश दिए थे। ऐसा नहीं करने पर संबंधित अधिकारियों पर कार्रवाई की चेतावनी दी थी। फायर एनओसी देने के लिए नगरीय निकायों में अनुबंधित अग्निशमन इंजीनियरों को अधिकृत करने के निर्देश दिए थे। लेकिन फायर एक्ट नहीं होने से जिम्मेदार बहुमंजिला इमारतों में कार्रवाई नहीं कर पाते हैं।

पोर्टल बंद होने से नहीं मिल रही अस्थाई अनुमति

बहुमंजिला इमारतों में फायर एनओसी के लिए नगरीय निकायों में निगम आयुक्त, ग्रामीण क्षेत्रों में कलेक्टर और शहरी क्षेत्रों में नगरीय प्रशासन विभाग के संयुक्त संचालक से सत्यापन कराना होगा। इसके बाद नगरीय प्रशासन विभाग के पोर्टल पर योजना को अपडेट करना होगा। लेकिन बीते तीन महीने से यह पोर्टल बंद है। जिससे फायर प्लान को अनुमति नहीं मिल रही है।

एक महीने में एक दर्जन से अधिक इमारतों में लगी आग

बीते शनिवार को पुराने शहर के इतवारे में स्थित बहुमंजिला इमारत में आग लग गई थी, लेकिन यहां दमकल के जाने के लिए जगह नहीं थी। पाइपों को आपस में जोड़कर आग बुझााई गई। वहीं गुरुवार को मारवाड़ी रोड स्थित तीन मंजिला इमारत में आग लगने से इसमें रखा गिफ्ट का सामान जल गया। इसका फायर आडिट नहीं कराया गया था। तय मानक के अनुसार व्यवस्थाएं नहीं थी। जिससे आग बुझाने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। बीते चार नवंबर को करोंद में प्रापर्टी डीलर के कार्यालय में आग लग गइ। इसके ऊपर स्कूल का संचालन किया जा रहा था। वहीं गोविंदपुरा औद्याेगिक क्षेत्र, करोंद और बैरागढ़ समेत अन्य स्थानों में बहुमंजिला इमारतों में आग की घटनाएं हो चुकी हैं।

इनका कहना

नेशनल बिल्डिंग कोड में बहुमंजिला इमारतों के लिए केवल प्रावधान है। लेकिन इसमें लापरवाही बरतने वालों के लिए कोई नियम नहीं है। यदि प्रदेश में फायर एक्ट लागू होता है, तो बहुमजिला इमारत में अग्निशमन उपकरण लगाना  अनिवार्य हाे जाएगा। ऐसा नहीं करने पर सजा और जुर्माने की कार्रवाई की जाएगी।

- यावर खान, मैट्रिक्स सेल्स एंड सर्विसेस

एक्ट नहीं होने से हम केवल समझाइश दे सकते हैं। हमारे पास बहुमंजिला इमारत में लापरवाही बरतने वालों के खिलाफ कार्रवाई का कोई अधिकार नहीं है। यदि एक्ट लागू हो जाए तो इसमें लापरवाही बरतने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जा सकेगी। इससे बचने के लिए भवन मालिक स्वयं एनओसी लेगा।

- रामेश्वर नील, अग्निशमन प्रभारी नगर निगम