नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की ताजा रिपोर्ट पर मध्यप्रदेश में राजनीति गरमा गई है। पूर्व सीएम कमलनाथ ने महिला, बच्चों और आदिवासियों पर होने वाले क्राइम को लेकर जहां सरकार को घेरा है। वहीं गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने सरकार का बचाव करते हुए कमलनाथ पर निशाना साधा है। गृहमंत्री ने कहा कि ये वहीं कमलनाथ जी है, जो पहले देश को बदनाम करते थे, अब एमपी को बदनाम कर रहे हैं।

ये है NCRB की ताजा रिपोर्ट में...

एनसीआरबी की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक मध्यप्रदेश में सबसे अधिक महिला, बच्चे अपराध के शिकार हो रहे हैं। 8 बच्चियों सहित रोज 17 महिलाएं रेप की शिकार हो रही हैं। चाइल्ड क्राइम में भी एमपी टॉप पर है। हर तीन घंटे में एक मासूम के साथ रेप हो रहा है। देश में आदिवासियों पर भी सबसे अधिक क्राइम एमपी में ही दर्ज हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार साल 2021 में बाल यौन शोषण के कुल 33 हजार 36 मामले सामने आए थे। इनमें से अकेले मप्र में ही 3515 मामले थे। इसी तरह महिलाओं से कुल रेप के मामले 6462 दर्ज हुए थे। बाल यौन शोषण के मामले में 2020 में भी एमपी टॉप पर था। तब कुल 5598 मामले रेप के दर्ज हुए थे। इसमें 3259 रेप के मामले छोटी बच्चियों से संबंधित दर्ज हुए थे। रिपोर्ट के मुताबिक 2021 में मध्यप्रदेश में 17,008 बच्चे क्राइम के शिकार हुए थे। मध्यप्रदेश में आदिवासी और दलितों के खिलाफ अत्याचार के मामले भी पिछली बार की तरह बढ़े हैं। 2021 में यहां एससी/एसटी एक्ट के तहत 2627 मामले दर्ज हुए। 2020 की तुलना में करीब 9.38 फीसदी अधिक है। तब 2401 मामले आए थे। दलितों से अत्याचार के कुल 7214 इस बार दर्ज हुए हैं।

कमलनाथ का तंज: सरकार की पोल खुल गई

पूर्व सीएम कमलनाथ ने एनसीआरबी की 2021 की रिपोर्ट को लेकर ही सरकार पर तंज कसा है। सोशल मीडिया में पोस्ट करते हुए लिखा है कि “एनसीआरबी की ताज़ा रिपोर्ट ने एक बार फिर शिवराज सरकार के तमाम दावों व सुशासन की पोल खोल कर रख दी है। मध्य प्रदेश जो मासूम बच्चियों से दुष्कर्म में वर्षों से देश में अव्वल है , उस पर लगा यह दाग अभी भी बरकरार है। पूर्व सीएम ने पोस्ट में आगे लिखा है कि इस रिपोर्ट के मुताबिक आदिवासी वर्ग और दलितों के खिलाफ अत्याचार में भी मध्यप्रदेश एक बार फिर देश में शीर्ष पर आया है। वर्ष 2020 की तुलना में वर्ष 2021 में एससी-एसटी वर्ग के खिलाफ मामलों में 9.38% की बढ़ोतरी हुई है। आत्महत्या के मामले में भी मध्यप्रदेश देश में तीसरे स्थान पर है। यह शिवराज सरकार के पिछले 16 वर्षों के विकास, सुशासन के दावों की हकीकत है। आज मध्यप्रदेश में कोई भी वर्ग सुरक्षित नहीं है। शिवराज सरकार को इस रिपोर्ट के बाद अपनी नाकामी स्वीकारते हुए अविलंब प्रदेश की जनता से, बहन-बेटियों से माफी मांगना चाहिए व जिम्मेदारों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई करना चाहिए और प्रदेश के माथे पर वर्षों से लगे इस दाग को धोने के लिए कड़े कदम उठाना चाहिए।”

एमपी को बदनाम कर रहे कमलनाथ: गृहमंत्री

गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने पूर्व सीएम कमलनाथ के पोस्ट पर सरकार का बचाव किया। बोले कि बेटियों के रेप में फांसी की सजा का प्रावधान एमपी ने तय किया है। अब तक 38 लोगों को पैरवी दिलाकर सजा दिलाई। हर जिले में महिला थाना व महिला डेस्क है। 6100 बेटियों को मुस्कान अभियान में दस्तयाब किया। ये निश्चित रूप से एमपी की उपलब्धि का विषय है, लेकिन कमलनाथ की प्रवृत्ति पहले देश को बदनाम करने की थी, अब एमपी को बदनाम कर रहे हैं। कोरोना में मुर्दों से बात करने वाले कमलाथ जी कम से कम इस पर भी बात करनी चाहिए।

सुसाइड में एमपी नंबर 3 पर

एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक सुसाइड के मामले में एमपी देशभर में तीसरे नंबर पर है। सबसे अधिक आत्महत्या वाला राज्य महाराष्ट्र है। यहां 2021 में 22 हजार 207 लोगों ने सुसाइड किए। तमिलनाडु में 18,925 लोगों ने जान दी। एमपी में 14,965 लोगों ने आत्महत्या की। देश में वर्ष 2020 में 1.53 लाख की तुलना में इस बार 1.64 लाख लोगों ने सुसाइड किए। मंगलवार को खंडवा में 33 साल के अतिथि शिक्षक ने आवना नदी में कूदकर जान दे दी। वे 1 नंबर से शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) की मेरिट लिस्ट में चूक गए थे। उन्होंने इससे पहले भी एग्जाम दिया था और सिलेक्ट हो गए थे, लेकिन सरकार ने भर्ती रद्द कर दी थी। इसके बाद दोबारा एग्जाम में बैठे थे। अतिथि शिक्षक अनंत राजपाली खंडवा शहर के शिवपुरम कॉलोनी के रहने वाले थे। उनकी 4 साल पहले शहर के ही गणेश तलाई में शादी हुई थी। उनका 3 साल का बेटा है। पत्नी हाउसवाइफ है। मां का 4 साल पहले निधन हो चुका है। पिता ओमप्रकाश राजपाली ​​​​​ग्वालियर के जीवाजी यूनिवर्सिटी से रिटायर्ड प्रोफेसर हैं।
 

एक्सीडेंट में एमपी नंबर 2 पर

एनसीआरबी रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2021 में देश भर में सड़क हादसों में 3.97 लाख लोगों की मौत हुई थी। सबसे अधिक महाराष्ट्र में 58 हजार 242 लोगों की मौत हुई है। एमपी में 40 हजार 510 लोगों की मौत हुई है।