18 फरवरी को भारत और UAE के बीच कॉम्प्रिहैन्सिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर हो सकते हैं ऐसा हो सकता है भारत ने कितने देशों के साथ व्यापार समझौते किए हुए हैं आयात  और निर्यात के दौरान किसी भी देश को कई तरह के शुल्क देने होते हैं वहीं, अगर दो या दो से ज्यादा देशों के बीच ट्रेड एग्रीमेंट हो जाता है, तो ये शुल्क खत्म हो जाते हैं अगर कोई शुल्क लगता भी है, तो वे बहुत कम होता है कॉम्प्रिहैन्सिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप एग्रीमेंट एक ऐसा फ्री ट्रेड समझौता है, जिसके जरिए दो देश व्यापार समझौता करते हैं इस समझौते का असर यह होता है कि दोनों देश, सर्विसेस और इनवेस्टमेंट जैसे मुद्दों पर एक दूसरे की मदद करते हैं फ्री ट्रेड एग्रीमेंट होने से आयात और निर्यात के दौरान आने वाली परेशानियां और मुश्किलें खत्म हो जाती हैं इसके जरिए वस्तुओं और सेवाओं के आयात-निर्यात पर कस्टम ड्यूटी, रेग्युलेटरी कानून, सब्सिडी और कोटा आदि को आसान बनाया जाता है

अगर भारत और यूएई के बीच यह समझौता होता है, तो दोनों के बीच समझौता फ्री ट्रेड एग्रीमेंट की तुलना में अधिक व्यापक हो जाएगा यूएई मौजूदा समय में भारत का तीसरा सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर है. 2019-20 में दोनों देशों के बीच 59 अरब डॉलर का बाइलेटरल ट्रेड हुआ है अमेरिका के बाद यूएई भारत का दूसरा सबसे बड़ा निर्यात डेस्टीनेशन है 2019-20 में भारत ने यूएई को 29 अरब डॉलर का निर्यात किया था भारतीय कंपनियों ने यूएई में 85 अरब डॉलर से ज्यादा का निवेश किया हुआ है भारत और यूएई के बीच पेट्रोलियम और पेट्रो उत्पाद, महंगे मेटल्स, स्टोन्स, जेम्स और ज्वैलरी का व्यापार होता है. इसके साथ ही 33 लाख भारतीय यूएई में रहते भी हैं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कुछ दिन पहले जानकारी दी थी कि सरकार दुनिया भर देशों के साथ कारोबारी समझौते करने की कोशिश कर रही है जिससे देश के उद्योगों को नये बाजार मिलें और निर्यात की रफ्तार और बढ़ाई जा सके