प्रख्यात कथक नृत्य गुरु पंडित बिरजू महाराज नहीं रहे। रविवार देर रात उन्होंने दिल्ली में अंतिम सांस ली। पद्म अलंकारों से सम्मानित कथक सम्राट पं. बिरजू महाराज के निधन से एक युग का अंत हो गया है। उनके निधन की सूचना से देश के साथ ही बनारस में संगीत प्रेमियों में शोक की लहर है। धर्म-अध्यात्म, नृत्य एवं संगीत की नगरी काशी से उनका गहरा लगाव था। पिछले साल वह संकट मोचन संगीत समारोह में आए थे तो उम्र की थकान के बावजूद चेहरे के विविध भावों और हाथों की अनूठी मुद्राओं की जीवंत प्रस्तुतियों से अपने प्रशंसकों को रिझा कर मंच पर छाए रहे। संकट मोचन में कई बार ऐसा दृश्य आया है की सामने किशन महाराज, पंडित जसराज और राजन-साजन मिश्र औ पूर्व महंत स्वर्गीय वीरभद्र मिश्र कथक सम्राट बिरजू महाराज के नृत्य कौशल को देखने के लिए बैठे रहते थे। कथक नृत्य के साथ तबला वादन और ठुमरी गायकी में भी थे कुशल

बिरजू महाराज ने शास्त्रीय संगीत में कथक को ऊंचाई देने का काम किया। बनारस और मंदिर से बहुत लगाव था। कहा था जबतक स्वास्थ्य साथ देगा मंदिर आते रहेंगे। संकट मोचन संगीत समारोह में आते थे तो कम से कम एक सप्ताह रुकते थे। किशन महाराज से बहुत घनिष्ठता थी। किशन महाराज और बिरजू महाराज की जोड़ी बहुत प्रसिद्ध थी। रविशंकर जी द्वारा शुरू किए रिंपा संगीत महोत्सव और बनारस के ललित संस्थान में इनकी जुगलबंदी आज भी लोगों को याद है। बतख और बतखी के प्रेम प्रसंग को कथक प्रस्तुति में जीवंत करते थे। उनकी वो प्रस्तुति आज भी लोगों के जेहन में है। पंडित बिरजू महाराज जितने कुशल कथक में थे उतने ही कुशल तबला वादन और ठुमरी गायकी में भी थे। वे गोविंदा और माधुरी दीक्षित के नृत्य को पसंद करते थे।

रिश्तों की बात करें तो प्रसिद्ध ठुमरी गायिका गिरिजा देवी के गुरु पंडित श्रीचंद्र मिश्र की पुत्री लक्ष्मी देवी पंडित बिरजू महाराज की पत्नी बनीं। वहीं, पंडित साजन मिश्र के साथ कथक सम्राट की बड़ी बेटी कविता का विवाह हुआ। पंडित बिरजू महाराज के एक भाई ने बनारस घराने के पंडित रामसहाय के सानिध्य में तबला वादन में निपुणता हासिल की। कथक नृत्य सम्राट पद्मविभूषण पं. बिरजू महाराज ने जिंदगी की तुलना नृत्य की लय से की थी। उन्होंने कहा था कि पैरों में बंधे घुंघरुओं में से ही झंकृत स्वर नहीं निकलते। ताल पर कथक में ही लय नहीं होती, हर एक ही धड़कन में लय है। जिंदगी की उस लय को जानने, समझने की जरूरत है। उन्होंने कहा था  कि शास्त्रीय संगीत ईश्वर से मिलन का मार्ग है। इसलिए जीवन में संगीत का होना जरूरी है।