शास्त्रों के अनुसार भगवान काल भैरव का अवतरण मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को हुआ था। इस दिन मध्याह्न में भगवान शिवशंकर के अंश से इनकी उत्पत्ति हुई थी जिन्हें शिव का पांचवा अवतार माना गया है।

इस साल यह तिथि 16 नवंबर को पड़ रही है। महादेव के रूद्र रूप कालभैरव को तंत्र का देवता माना गया है,इसलिए तंत्र-मंत्र की साधना निर्विघ्न संपन्न करने के लिए सबसे पहले काल भैरव की पूजा की जाती है। कालभैरव शत्रुओं और संकट से भक्तों की रक्षा करते हैं। सभी शक्तिपीठों के पास भैरव के जागृत मंदिर जरूर होते हैं। इनकी उपासना के बिना देवी मां की उपासना अधूरी मानी जाती है।

भगवान भैरव की महिमा
हिंदू देवताओं में भैरव का बहुत ही महत्व है। इन्हें काशी के कोतवाल भी कहा जाता है। इनकी शक्ति का नाम है 'भैरवी गिरिजा 'जो अपने उपासकों की अभीष्ट दायिनी हैं। इनके दो स्वरूप है पहला बटुक भैरव जो भक्तों को अभय देने वाले सौम्य रूप में प्रसिद्ध है तो वहीं काल भैरव अपराधिक प्रवृतियों पर नियंत्रण करने वाले भयंकर दंडनायक है। ऐसी भी मान्यता है कि भैरव शब्द के तीन अक्षरों में ब्रह्मा,विष्णु और महेश तीनों की शक्ति समाहित है। भैरव, शिव के गण और पार्वती के अनुचर माने जाते हैं। सच्चे मन से जो भी इनकी उपासना करता है,उसकी सुरक्षा का भार ये स्वयं उठाते हैं और अपने भक्तों की समस्त मनोकामनाओं को पूरा करते हैं। साथ ही भैरवजी की पूजा से भूत-प्रेत,नकारात्मक शक्तियां और ऊपरी बाधा आदि जैसी समस्याएं भी दूर होती हैं।

ऐसे करें काल भैरव को प्रसन्न
इस दिन काल भैरवजी की पूजा आदि करने से व्यक्ति को भय से मुक्ति प्राप्त होती है। इतना ही नहीं इनकी पूजा करने से ग्रह बाधा और शत्रु बाधा दोनों से ही मुक्ति मिलती है। इनकी अनुकम्पा प्राप्त करने के लिए कालाष्टमी के दिन से भगवान भैरव की प्रतिमा के आगे सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए। इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए। भगवान काल भैरव को काले तिल,उड़द और सरसों का तेल का दीपक अर्पित करना चाहिए साथ ही मंत्रों के जाप के साथ ही उनकी विधिवत पूजा करने से वह प्रसन्न होते हैं और उनकी कृपा प्राप्त होती है।

इस दिन श्रद्धानुसार साबुत बिल्बपत्रों पर लाल या सफ़ेद चंदन से 'ॐ नमः शिवाय'लिखकर शिवलिंग पर चढ़ाएं। बिल्बपत्र अर्पित करते समय पूर्व या उत्तर की ओर मुख करें। इस तरह पूजा करने से काल भैरव प्रसन्न होकर आपकी मनोकामना पूर्ण करेंगे।
भगवान कालभैरव का वाहन कुत्ता है,इसलिए भैरव की कृपा पाने के लिए इस दिन काले कुत्ते को मीठी रोटी अथवा गुड़ के पुए खिलाएं।ऐसा करने से आपके जीवन से कष्टों का निवारण होगा ।
भगवान कालभैरव की उपासना से भूत,प्रेत एवं ऊपरी बाधाएं दूर होती हैं।सभी नकारात्मक शक्तियों से छुटकारा पाने के लिए इस दिन ॐ कालभैरवाय नम: का जप एवं कालभैरवाष्टक का पाठ करना चाहिए।
भैरव की कृपा पाने के लिए इस दिन किसी भी भैरव मंदिर में गुलाब, चंदन और गुगल की खुशबूदार अगरबत्ती जलाएं। पांच या सात नींबू की माला भैरव जी को चढ़ाएं। गरीब और बेसहारा लोगों को गर्म कपड़े दान करें।
कालाष्टमी व्रत बहुत ही फलदायी मानी जाती है। इस दिन व्रत रखकर पूरे विधि-विधान से काल भैरव की पूजा करने से व्यक्ति के सारे कष्ट मिट जाते हैं। काल उससे दूर हो जाता है।