भोपाल। अपनी शर्तो के पूरा न होने पर असंतुष्ट होकर कांग्रेस छोड़कर सर्मथको सहित भाजपा का दामन थामने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक इन दिनो काफी परेशान नजर आ रहे है। राजनैतिक सूत्रो की मानी जाये तो कर्नाटक में मिली जीत और कॉग्रेस के चूनावी वायदो, घोषणाओ के साथ ही कॉग्रेस के सीनीयर लीडर कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के लगातार किये जा रहे हमलो, भ्रष्टाचार को लेकर कॉग्रेसियो के सड़क पर उतर कर किये जा रहे प्रर्दशनो से भाजपा में अंदरुनी तौर पर काफी अफरा-तफरी मची हुई है। इसे लेकर सबसे ज्यादा सिंधिंया सर्मथक मंत्री और विधायक परेशान है। इन्हें घेरने के लिये रणनीति तैयार करते हुए कांग्रेस उन्हें उन्हीं के क्षेत्र में कड़ी टक्कर देने की तैयारी कर रही है। कॉग्रेस की रणनीति के अनुसार सिंधिया के समर्थक मंत्रियों को हराने के लिये दमदार प्रत्याशियों की तलाश जाही है। 
कांग्रेस की तैयारियो को देखते हुए सिंधिया समर्थक मंत्रियों के चेहरे के रंग भी बदलते हुए नजर आ रहे है। हालांकि कांग्रेस का मुकाबला करने के लिये सिंधिया भी मैदान में आ गये है, और इन दिनो मध्यप्रदेश में अधिक समय बिताते हुए आये दिन किसी न किसी जिले के दौरे पर रहते हैं। इस दौरान वे अपने समर्थक मंत्रियों-विधायकों के पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं। वहीं पीसीसी चीफ कमलनाथ भी ऐसे मंत्रियो के क्षेत्रो में जाकर कार्यकर्ताओं की बैठक लेने के साथ ही अपनी आयोजित जनसभाओ में अपनी घोषणाओ को दोहराते हुए हमलावर बने हुए है। कांग्रेस के अन्य नेता भी सिंधिया समर्थक मंत्रियों के क्षेत्रो में जाकर कार्यकर्ताओं से संवाद करते हुए सिंधिया समर्थक मंत्रियों के भ्रष्टाचार के साथ ही भाजपा नेताओ द्वारा दिये गये उन बयानो को अपना हथियार बना रहे है, जो उन्होनें ज्योतिरादित्य सिंधिया के सर्मथक विधायको के लिये दिये थे। 
इसके साथ ही इन मत्रिंयो के खिलाफ गददार, दल बदलू जैसै नारो का भी भरपूर प्रयोग कॉग्रेस चूनावी मैदान  में करेगी। ऐसे में जहॉ भापजा को तो नुकासान हो ही सकता है, लेकिन इसका ज्यादा असर ज्योतिरादित्य सिधिंया के साथ ही उनके सर्मथक विधायको के राजनैतिक कैरियर पर पड़ेगा। गौरतलब है कि साल 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ जिन विधायकों और मंत्रियों ने इस्तीफा दिया था, उनमें प्रद्युम्न सिंह तोमर, रघुराज कंसाना, कमलेश जाटव, जजपाल सिंह जज्जी, इमरती देवी, प्रभुराम चौधरी, रक्षा संत्राव भांडेर, जसवंत जाटव, तुलसी सिलावट, सुरेश धाकड़, महेंद्र सिंह सिसोदिया, ओपीएस भदौरिया, रणवीर जाटव, गिरिराज दंडोतिया, जसवंत जाटव, हरदीप डंग, गोविंद राजपूत, मुन्नालाल गोय यादव, मोहन सिंह राठौड़, बिसाहूलाल सिंह, एंदल सिंह कंसाना और मनोज चौधरी शामिल थे। इनमें से गोविंद सिंह राजपूत, तुलसी सिलावट, प्रद्युम्न सिंह तोमर, इमरती देवी, प्रभुराम चौधरी और महेंद्र सिंह सिसोदिया मंत्री भी थे।