नई दिल्ली । पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर डेपसांग मैदानी क्षेत्र में डी-एस्केलेशन और विवादास्पद मुद्दों का हल तलाशने में भारत-चीन कोर कमांडर स्तर की 18वें दौर की वार्ता पर विफल रही। भारत और चीन के कोर कमांडर स्तर की मौजूदा वार्ता से पहले दिसंबर 2022 में यह वार्ता हुई थी। कई दौर की बातचीत से सैनिकों ने एलएसी के साथ कई स्थानों से वापसी की है। लेकिन जानकारी के मुताबिक, भारत और चीन दोनों ही बॉटलनेक नामक क्षेत्र से आगे गश्त करने के लिए एक-दूसरे को रोक रहे हैं। फॉरवर्ड पोस्ट पर अभी भी बख्तरबंद गाड़ियों, तोपखाने वाने सैन्य उपकरणों के सेनाएं तैनात हैं।
भारत ने चीन के समक्ष सेना के डी-एस्केलेशन की मांग की है। भारत का पक्ष यह है कि यहां फॉरवर्ड पोस्ट पर स्थिति अप्रैल 2020 से पहले के अनुसार होनी चाहिए। भारत में चीन से कहा कि क्षेत्र में सभी अतिरिक्त सैनिकों और उपकरणों की वापसी करनी होगी।
गौरतलब है कि विदेश मंत्रालय ने बयान जारी किया, हालांकि यह पहले की तरह दोनों देशों का एक संयुक्त बयान नहीं था। विदेश मंत्रालय के बयान में कहा कि दोनों पक्षों ने एलएसी के साथ प्रासंगिक मुद्दों के समाधान पर स्पष्ट और गहन चर्चा की। इसमें कहा गया है कि राज्य के नेताओं द्वारा प्रदान किए गए मार्गदर्शन और मार्च 2023 में दोनों विदेश मंत्रियों के बीच हुई बैठक के अनुसार, उन्होंने खुले और स्पष्ट तरीके से विचारों का आदान-प्रदान किया। अंतरिम रूप से दोनों पक्ष पश्चिमी क्षेत्र में जमीन पर सुरक्षा और स्थिरता बनाए रखने पर सहमत हुए।
इस बयान में कहा गया है कि दोनों पक्ष निकट संपर्क में रहने और सैन्य और राजनयिक चैनलों के माध्यम से बातचीत बनाए रखने और जल्द से जल्द शेष मुद्दों के पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान पर काम करने पर सहमत हुए।
गौरतलब है कि शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के रक्षा मंत्रियों की बैठक 27 और 28 अप्रैल को होनी है। इस बैठक से ठीक पहले भारत और चीन के शीर्ष सैन्य कमांडरों ने कोर कमांडर स्तर की 18वें दौर की यह वार्ता आयोजित की गई थी। कमांडर स्तर की वार्ता विफल होने के बाद अब सारी उम्मीदें 27 और 28 अप्रैल को होने वाली चीनी रक्षा मंत्री जनरल ली शांगफू व रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बीच होने वाली वार्ता पर टिकी हैं।
रक्षा और सुरक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों ने बताया कि कोर कमांडरों की वार्ता में कोई सफलता हासिल नहीं हुई है। इस वार्ता के दौरान भारत की ओर से एलएसी पर तनाव कम करने और डेपसांग में तनाव कम करने के लिए दबाव डाला गया था।