काबुल । भारत और पाकिस्तान को एक दूसरे का सहज विरोधी माना जाता है। इनके बीच संबंध अक्सर तनावपूर्ण रहते हैं। इस हफ्ते तालिबान उस समय हैरानी में पड़ गया जब काबुल में भारत और पाकिस्तान के राजनयिकों ने एक साथ एक विदेशी पत्रकार की रिहाई की मांग की। इस पत्रकार को नियमों के उल्लंघन के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
पाकिस्तानी पत्रकार अनस मलिक को उसके लोकल प्रोड्यूसर और ड्राइवर के साथ 4 अगस्त 2022 को तालिबान ने हिरासत में लिया था। मलिक के साथ कथित तौर पर मारपीट और पूछताछ की गई। मलिक को 21 घंटे तक हिरासत में रखा गया जबकि उसके दो सहयोगियों को 42 घंटे से अधिक समय तक जेल में रहने के बाद शनिवार को रिहा कर दिया गया। मलिक के लापता होने की खबरें सामने आने के कुछ ही देर बाद भारत और पाकिस्तान के राजनयिकों ने पत्रकार की सुरक्षा और स्वतंत्रता के लिए संबंधित तालिबानी अधिकारियों से संपर्क किया। रिपोर्ट के अनुसार तालिबानी सूत्रों ने रिहाई में देरी के लिए भारत और पाकिस्तानी दूतावासों की तरफ से लगातार आने वाली फोन कॉल को जिम्मेदार ठहराया जिनमें दोनों ही मलिक की रिहाई की मांग कर रहे थे।
मामले से संबंधित सूत्रों के मुताबिक तालिबानी अधिकारियों ने भारतीय पक्ष से पूछा हम जानते हैं कि वह एक पाकिस्तानी है। आप कैसे कह सकते हैं कि वह आपका आदमी है? मामले पर से शंका के बादल तब छटे जब एक भारतीय अधिकारी ने बताया कि मलिक एक भारत स्थित न्यूज चैनल के लिए काम करता है। पाकिस्तानी दूतावास भी तालिबानी अधिकारियों को लगातार फोन करता रहा और पत्रकार की रिहाई की मांग करता रहा।
तालिबान ने मलिक को रिहा कर दिया है जो पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद से एक भारतीय न्यूज चैनल के लिए काम करते हैं, जिसका मुख्यालय नई दिल्ली में है। कथित तौर पर पत्रकार से अफगानिस्तान छोड़ने के लिए कहा गया था। पाकिस्तान पहुंचकर उसने अपने चैनल को बताया कि तालिबान ने उन्हें कार से बाहर 'घसीटा' जब वे काबुल के एक पॉश इलाके से रिपोर्टिंग करके लौट रहे थे। यह वही इलाका था जहां रविवार को अमेरिका ने अल-कायदा के सरगना कुख्यात आतंकवादी अयमान अल-जवाहिरी को ड्रोन हमले में मार दिया था। तालिबान ने पत्रकारों को उस घर से दूर रहने का आदेश दिया है, जहां जवाहिरी मारा गया था। तालिबानी अधिकारियों ने अभी तक तीन लोगों को हिरासत में लेने के आरोप पर कोई जवाब नहीं दिया है।