ग्वालियर   बेटी का बर्थडे था और मां दुनिया को अलविदा कह रही थी। आंखें नम कर देने वाली ये कहानी ग्वालियर की नम्रता जैन की है। नम्रता को मौत बुला रही थी और नम्रता अपनी मान्या को पुकार रही थी। लेकिन मान्या नहीं आई। आई तो सिर्फ मौत। कोरोना संक्रमित 33 साल की नम्रता जैन ने बेटी को याद करते हुए आखिरी सांस ली। 24 जनवरी को उनकी मौत हुई, इसी दिन नम्रता की गोद ली बेटी का दूसरा बर्थडे था। नम्रता कैंसर पेशेंट थी। फेफड़ों में पानी भरने पर हॉस्पिटलाइज्ड किया गया था। जांच हुई तो कोरोना भी मिला।

नम्रता की खुद की कोई संतान नहीं थी। डेढ़ साल पहले बहन से 24 दिन की बेटी गोद ली थी। अचानक दिसंबर में बहन आई और बेटी के अपहरण का आरोप लगाकर बेटी को वापस ले गई। तब से ही नम्रता डिप्रेस्ड थी। नम्रता को खुद उसके ताऊ ने अडप्ट किया था।

नम्रता जैन की कहानी दिल को झकझोर देने वाली है। डीडी नगर निवासी नम्रता को पति शशिकांत जैन ने मौत से दो दिन पहले ही सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में भर्ती कराया था। शशिकांत ने बताया कि 24 जनवरी को नम्रता की तबीयत ज्यादा बिगड़ गई थी। इसी दिन बच्ची का बर्थडे था। वह बार-बार उसे याद करती। रात 12.30 बजे अचानक उसने बोलना बंद कर दिया। देखा तो वह शांत हो चुकी थी...।

मुंहबोली बहन से 24 दिन की बच्ची गोद ली थी

शशिकांत ने बताया कि नम्रता की मुंहबोली बहन अंजली पत्नी विवेक कुमार (निवासी बड़ौद) से दो साल पहले सहारनपुर में मुलाकात हुई थी। वहां जैन समाज का कार्यक्रम था। मुलाकात लंबे अर्से बाद हुई थी। अंजली प्रेग्नेंट थी। उसके पास पहले से दो बेटियां थी। बातचीत में उसे जब पता चला कि नम्रता एक बच्चे को गोद लेने की सोच रही है तो उसने प्रपोजल रखा। कहा कि उसके पास पहले से ही दो बेटियां हैं। तीसरी संतान वह उसे गोद दे देगी। तीसरी संतान बेटी हुई। जब वह 24 दिन की थी, तब 100 रु के स्टांप पेपर पर कानूनी कार्रवाई कर बच्ची को गोद ले लिया। नाम रखा मान्या। हमने उसका पहला बर्थडे धूमधाम से मनाया।

अचानक आकर छीन ले गई बच्ची

बच्ची डेढ़ साल की हुई तो मुंहबोली बहन बच्ची को वापस मांगने लगी। उसने अपहरण को लेकर केस कर दिया। 8 दिसंबर 2021 को अंजली पुलिस के साथ आई और जबरन बच्ची को ले गई। इसके बाद से नम्रता टूट गई और बीमार रहने लगी थी।

नम्रता खुद भी गोद ली हुई थी

शशिकांत ने बताया कि नम्रता भिंड के रहने वाले व्यापारी कमल जैन की बेटी थी। कमल के बड़े भाई अशोक की अपनी कोई संतान नहीं थी। उन्होंने नम्रता को गोद लिया था। नम्रता के असली पिता से उसके ताऊ ने इसी तरह 100 रुपए के स्टांप पर कार्रवाई कर गोद लिया था। नम्रता के पालन पोषण से लेकर कन्यादान तक की जिम्मेदारी अशोक कुमार जैन ने निभाई।